-आउटलुक, देश में कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है। हालात यह हो चले हैं कि अब भारत प्रतिदिन एक लाख नए मामलों के करीब जा पहुंचा है। इस बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने जो देशभर के पहले दौर के सीरो सर्वे के नतीजे जारी किए हैं, वह काफी हैरान करने वाले हैं। आईसीएमआर के अनुसार, सीरो सर्वे से पता चला है कि मई महीने तक ही...
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क्यों कुछ लोग इस बात पर ही शक करते हैं कि कोरोना वायरस एक महामारी है
-सत्याग्रह, कोविड-19 जैसी घातक और अतिसंक्रामक बीमारियों के लिए हिंदी में महामारी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अंग्रेजी में इस तरह की संक्रामक बीमारियों के लिए एक नहीं तीन शब्द हैं - एंडेमिक, एपिडेमिक और पैन्डेमिक. एंडेमिक (Endemic) ग्रीक शब्दों एन (En या In यानी में) और डेमोस (demos यानी लोग) शब्दों से बना है. एंडेमिक उस बीमारी को कहा जाता है जो किसी एक समाज, समुदाय या देश...
More »भारतीय अर्थव्यवस्था के-शेप्ड रिकवरी की तरफ बढ़ रही है, ऐसा होना भारत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं होगा
-द प्रिंट, जैसे ही यह खबर आई कि दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था आज दुनिया की सबसे तेजी से सिकुड़ रही अर्थव्यवस्था बन गई है, चारों तरफ से तरह-तरह की टिप्पणियां आने लगीं. इन टिप्पणियों में सबसे गौरतलब यह थी कि भारत की आर्थिक वृद्धि की क्षमता 6 प्रतिशत से घटकर 5 प्रतिशत की हो गई है. कुछ अरसे से यह स्पष्ट हो गया था कि भारत को कोविड-19 के...
More »बेदम होती स्वास्थ्य व्यवस्था : कोविड-19 संकट में तपेदिक के सबक
-कारवां, {1} दिसंबर 2019 में डॉ. आनंदे वुहान से आने वाली खबरों पर व्याकुलता के साथ नजरें जमाए हुए थे. चीन के शहरों में सार्स जैसा एक रहस्यमय वायरस फैल रहा था. उस समय अपने डॉक्टर मित्रों के साथ होने वाली चर्चा को याद करते हुए आनंदे ने मुझे बताया, “मैंने सुना कि वह वायुजनित बीमारी थी. हम सुन रहे थे कि रोगियों में खांसी, बुखार आदि जैसे ही लक्षण हैं.” आनंदे की...
More »एक्शनएड सर्वे: लॉकडाउन लागू होने के बाद तीन-चौथाई से अधिक श्रमिक अपनी आजीविका से हाथ धो बैठे
एक्शनएड एसोसिएशन (एएए) द्वारा मई 2020 के आखिर तक तीसरे चरण के लॉकडाउन में राष्ट्रीय स्तर पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर निर्भर श्रमिकों के बीच सर्वेक्षण (14 मई और 22 मई, 2020 के बीच) किया है, जिसमें महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों सहित अनौपचारिक श्रमिकों के जीवन और आजीविका में आए बदलावों और प्रभावों, उनके द्वारा अनुभव की गई रोजी-रोटी की अनिश्चितता और उससे निपटने के लिए उनके संघर्षों को दर्ज किया...
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