2011 में महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने नदियों के खनन के खिलाफ आदेश जारी किया. उस आदेश के मुताबिक नदियों से दो मीटर से ज्यादा बालू निकालने की इजाजत नहीं है. पर बिहार की नदियों से 7-8 मीटर की गहराई तक बालू निकाली जाती रही है. बिहार नदियों का प्रदेश रहा है. नदियों ने यहां के लोगों को पाला-पोसा है. लोगों के जीवन से घुली-मिली रही हैं. फिर क्या वजह है कि...
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गन्ने की कीमत से आगे- अपूर्वानंद
जनसत्ता 10 दिसंबर, 2013 : उत्तर प्रदेश से अब गन्ना उगाने वाले किसानों के मिल मालिकों से संघर्ष की खबरें आ रही हैं। यह संघर्ष जोरदार है। और एक तरह से इसे सफल जन संघर्ष कहा जा सकता है। इसने मुजफ्फरनगर की तीन महीने से चली आ रही हिंसा की खबरों को पीछे धकेल दिया है। कम से कम हिंदी अखबारों में। इस आंदोलन में भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के लोग...
More »सूखते खेत-खलिहान अभी दूर है विज्ञान- अनिल जोशी
हमारे देश का एक बड़ा हिस्सा आजादी के बाद से आज तक विज्ञान के लाभ से महरूम रहा है। देश की प्रयोगशालाओं में जो भी हुआ, वह राजमार्ग से उतरकर गांव की पगडंडी पर गया ही नहीं। देश की तीन बड़ी वैज्ञानिक संस्थाओं का यह सीधा दायित्व था कि वे गांवों की विभिन्न आवश्यकताओं पर काम करें। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, विज्ञान और तकनीकी विभाग, ग्रामीण विकास संस्थान ने अपने...
More »मताधिकार के मायने- संदीप जोशी
जनसत्ता 3 दिसंबर, 2013 : पिछले दिनों अचानक पूर्वी दिल्ली के रिहायशी इलाके निर्माण विहार के शांत और लगभग सूने बगीचे में चकाचौंध रोशनी देखी। चमाचम रोशनी ऐसी कि देखने वाले को सैर करने का न्योता हो। इसी बहाने अंधेरे में भी सैर हुई। संभ्रांतता दर्शाते हुए मॉल जैसी जगमगाहट पूरे बगीचे में फैली हुई थी। वहीं ध्यान आया कि दो हफ्ते में दिल्ली के विधानसभा चुनाव होने हैं। बगीचे की...
More »बिना बिचड़े, बिना पानी के धान की खेती- राहुल सिंह
रांची जिले के ओरमांझी प्रखंड के कुच्चू गांव के किसान बालक महतो झारखंड में कृषि जगत के जाने-पहचाने नाम हैं. राज्य की राजधानी रांची के बड़े कृषि संस्थान कांके स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय व पलांडू स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय केंद्र के ज्यादातर वैज्ञानिक बालक महतो के खेती को लेकर उनकी योग्यता व योगदान के कारण अच्छे से जानते हैं. इन संस्थाओं में उन्हें छात्रों को संबोधित करने के...
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