कोलकाता: पश्चिम बंगाल के तटीय क्षेत्र सुंदरवन में रहनेवाले एक तिहाई बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. आनेवाले समय में यहां के तीन लाख बच्चे कुपोषण से ग्रसित होंगे और इनमें से 26 हजार बच्चों को इलाज के लिए अस्पताल में भरती कराना पड़ सकता है. सुंदरवन हेल्थ वाच (एसएचडब्लू) की रिपोर्ट में सेहत की यह भयावह स्थिति पेश की गयी है. यही नहीं एक तिहाई माताओं को भी पौष्टिक आहार नहीं...
More »SEARCH RESULT
झारखंड : 46000 बच्चों की हर साल मौत
झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं और जागरूकता के अभाव में हर साल हजारों बच्चों व मां की मौत हो रही है. इसे रोका जा सकता है. कम किया जा सकता है. इसी सिलसिले में प्रभात खबर सामाजिक जिम्मेवारी के तहत यूनिसेफ के साथ मिल कर राज्य के प्रमुख जिला मुख्यालयों में कार्यशाला आयोजित कर रहा है, ताकि जागरूकता फैले, संस्थाएं बेहतर काम करें. लोगों तक सुविधा पहुंचे, उन्हें जानकारी मिले. दोनों...
More »गरीबी रेखा या भुखमरी की रेखा- अनिन्दो बनर्जी
देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करनेवालों के बारे में योजना आयोग द्वारा जारी आंकड़ों की कोई और उपयोगिता हो न हो, यह बदहाली के स्वीकार्य मापदंड नहीं हो सकते. जिस देश में करीब 46 फीसदी बच्चे कुपोषण से प्रभावित हों, जहां करीब 40 प्रतिशत परिवार पूर्णत: भूमिहीन या एक एकड़ से कम जमीन के मालिक हों, जहां 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का गुजारा असंगठित क्षेत्र में...
More »भारतीय दवा कंपनियां नियमों का पालन करें या कार्रवाई के लिये रहें तैयार
नयी दिल्ली: अमेरिकी स्वास्थ्य नियामक एफडीए ने भारतीय कंपनियों से नियमों का अनुपालन करने को कहा है. उसका कहना है कि अगर कंपनियां उनके कायदे-कानून का पालन नहीं करेंगी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएंगी. कई भारतीय दवा कंपनियां अमेरिकी नियमों के उल्लंघन को लेकर वहीं के स्वास्थ्य नियामक की जांच के घेरे में है. एफडीए का कहना है कि यहां निर्मित दवाओं में कीटनाशक तथा कीटों के अंश मिल रहे...
More »विकास के मॉडल पर कुछ विचार- रविभूषण
र्षों पहले गुन्नार मिर्डल ने ‘एशियन ड्रामा' में लिखा था- ‘औपनिवेशिक सत्ता-व्यवस्था के बिखराव और स्वतंत्र राष्ट्रीय राज्यों के स्वत: उभरने का यह अर्थ नहीं है कि इन भूतपूर्व उपनिवेशों में कोई बड़ा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो.' यह आज भी सच है. स्वतंत्र भारत में कोई बड़ा सामाजार्थिक परिवर्तन नहीं हुआ है. ब्रिटिश शासकों द्वारा निर्मित ढांचा, जिसे बदलने में नेहरू ने 1950-51 में अपनी असमर्थता प्रकट की थी और उस ‘साहस'...
More »