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कब चमकेगी आदिवासियों की किस्मत!

नई दिल्ली [भारत डोगरा]। भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया और संविधान की इस भावना के अनुकूल हमारे देश में आदिवासी हितों की रक्षा के अनेक कानून भी बनाए गए, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर की वास्तविकता यह रही कि आदिवासियों को कई तरह का अन्याय सहना पड़ा। बड़े पैमाने पर वे जमीन से वंचित हुए व उनकी वन-आधारित आजीविका भी अधिकाश स्थानों पर तेजी से कम होती...

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..मुट्ठीभर दाने को, भूख मिटाने को

गया [प्रभंजय कुमार]। पेट-पीठ दोनों मिलकर एक, चल रहा लकुटिया टेक, मुट्ठीभर दाने को, भूख मिटाने को..महाकवि निराला की यह पंक्तियां गया जिले के ईट-भट्ठों पर काम करने वाले मजदूरों के बीच आज भी चरितार्थ हो रहीं हैं। कंपकंपाती सर्दी हो या तपती दुपहरिया, मेहनतकश मजदूरों को हर वक्त दो जून की रोटी की ही चिंता सताती रहती है। ईटों की पथाई करते-करते इनके जिस्म फौलाद की तरह भले ही कठोर हो चुके हों, लेकिन अभावों...

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कंधे पर रायफल और हाथों में हल

बक्सर [दिलीप कुमार]। 70 के दशक के मध्य में देश में अनाज की कमी को पूरा करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान, जय किसान का नारा दिया था। इस नारे ने देश में ऐसा जोश भरा कि हर शख्स सीमा की रक्षा और धरती मां की सेवा में अपना योगदान देने को आतुर हो उठा। नई पीढ़ी भले ही इस नारे को भूल चुकी हो, लेकिन बक्सर के...

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अब बच्चे लेंगे सैनिक बनने की प्रेरणा

नई दिल्ली। बच्चे सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित हों, इसके लिए सेना ने मानव संसाधन विकास [एचआरडी] मंत्रालय को स्कूली किताबों में सेना के चरित्र, उसकी विरासत और संस्कृति के बारे में अध्याय शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। 'इंडियन आर्मी: ए ग्लोरियस हेरिटेज' शीर्षक वाली किताब के विमोचन कार्यक्रम में सेना प्रमुख जनरल दीपक कपूर ने एचआरडी मंत्री कपिल सिब्बल को सेना के इतिहास और सेवाओं से जुड़े अध्याय नौवीं, दसवीं, ग्यारवीं...

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वलनीः छब्बीस बरस की गवाही

यह कहानी है नागपुर तालुका के गांव वलनी के लोगों की। वलनी में उन्नीस एकड़ का एक तालाब है। वलनीवासी 1983 से आज तक वे अपने एक तालाब को बचाने के लिए अहिंसक आंदोलन चला रहे हैं। छब्बीस वर्ष गवाह हैं इसके। न कोई कोर्ट कचहरी, न तोड़ फोड़, न कोई नारेबाजी। तालाब की गाद-साद सब खुद ही साफ करना और तालाब को गांव-समाज को सौंपने की मांग। हर सरकारी...

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