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मोदी सरकार के टीकाकरण प्रोपगेंडा को तथ्यों और संदर्भ के साथ समझें

-न्यूजक्लिक, 28 जून से कोरोना टीकाकरण को लेकर जबरदस्त प्रोपगेंडा चल रहा है। भारत सरकार, प्रधानमंत्री मोदी, तमाम मंत्री, मंत्रालय, आईटी सेल, मीडिया और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं कि भारत टीकाकरण के मामले में पहले स्थान पर आ गया है और अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, जर्मनी और इटली को भी पीछे छोड़ दिया है। कहा जा रहा है कि भारत में 32 करोड़ 36 लाख से ज्यादा वैक्सीन दी जा चुकी हैं।...

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टीबी ने बढ़ाया आदिवासियों में कोरोना का खतरा, राष्ट्रीय औसत से भी अधिक आंकड़ा

-जनपथ, भारत में लगभग 12 करोड़ लोग विभिन्न आदिवासी समूहों से हैं। इनमें से अधिकांश को कोई न कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हैं। भारत में मलेरिया के कुल प्रकरणों में लगभग एक-तिहाई आदिवासी बहुल इलाकों में से आते हैं। वर्ष 2018 में स्वास्थ्य एवं आदिवासी मामलों के मंत्रालयों द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने आदिवासी स्वास्थ्य को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट में कहा था कि बड़ी संख्या में आदिवासी कुपोषण से...

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UAPA: वो कानून जिसमें गिरफ्तारियां तो बहुत होती हैं, पर सजा गिने-चुने लोगों को ही मिल पाती है

-लल्लनटॉप, देवांगना कलिता (Devangana Kalita), नताशा नरवाल (Natasha Narwal) और आसिफ इक़बाल तन्हा (Asif Iqbal Tanha). देवांगना और नताशा JNU की स्टू़डेंट हैं. जबकि आसिफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र हैं. ये तीनों दिल्ली दंगों (Delhi Riots) से जुड़े मामले में कई महीने से जेल में थे. इन पर अनलॉफुल ऐक्टिविटीज़ प्रिवेन्शन ऐक्ट (UAPA) के तहत भी आरोप हैं. 15 जून को  दिल्ली हाईकोर्ट ने इन्हें जमानत दे दी. दो दिन...

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कोविड-19 से प्रभावित उत्तर और मध्य भारत के ग्रामीण क्षेत्र क्या अनदेखी का शिकार हुए हैं

-द वायर, कोविड-19 की दूसरी लहर ने कई ग्रामीण इलाकों में बहुत तबाही मचाई है. गांवों पर महामारी का प्रभाव सरकारी आंकड़ों में ज़्यादातर दिखाई नही देता है. मगर स्थानीय खबरें कुछ और ही दृश्य दिखाती हैं: गांवों में तेज़ी से फैले संक्रमण, ऊंची मृत्यु-दर, बहुत ही कम कोविड टेस्टिंग, और स्वास्थ्य-सेवाओं का ढह जाना. हमने मई 2021 के पहले तीन हफ्तों से कुल इकसठ (61) ऐसी खबरों को इकट्ठा किया, जिनमें...

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महंगाई कुछ कम होगी- 5 कारण जिनकी वजह से आपको ऊंची कीमतों के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए

-द प्रिंट,  मई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) में 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. अप्रैल में यह वृद्धि 4.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी. इसके कारण यह आशंका पैदा हो गई कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को सख्त कर देगा. मई के आंकड़े को कुछ दोषपूर्ण माना जा सकता है क्योंकि यह वृद्धि मुख्यतः विश्व बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि, जींसों की कीमतों में वृद्धि, और...

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