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न आंगन और न बाड़ी, नाम आंगनबाड़ी

सासाराम न आंगन और न बाड़ी, फिर भी नाम है आंगनबाड़ी। यह स्थिति है जिले के एक हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों की। बच्चों को न बैठने की जगह है और न बिछाने का दरी। फिर भी लाखों रुपये प्रतिमाह आंगनबाड़ी केन्द्रों पर खर्च हो रहे हैं। बच्चों को कुपोषण से बचाने व शिक्षा से जोड़ने के लिए आईपीडीएस द्वारा चलाए जा रहे आंगनबाड़ी केन्द्रों पर 40 बच्चों को शिक्षा देने की व्यवस्था निर्धारित है।...

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दशा ऐसी तो कैसे जले शिक्षा की अलख

इलाहाबाद। सर्व शिक्षा अभियान का नारा है सब पढ़ें, सब बढ़ें। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों में शिक्षा की अलख जगाना है। सरकार ने भी इसकी सफलता के लिए कई कदम उठाए। शिक्षाधिकारियों समेत डीएम और मंडलायुक्त को भी इस ओर इंगित किया गया, बावजूद यह व्यवस्था शहर में ही पटरी से उतर गई है। इसका जीता जागता उदाहरण मोहत्सिमगंज में देखने को मिला। यहा एक ही परिसर में पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय...

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नक्सलियों को मिलेगी पेंशन

नारायणपुर. आत्मसमर्पित नक्सलियों के शैक्षणिक और आर्थिक विकास के लिए उन्हें पेंशन दी जाएगी। नक्सली प्रभावित परिवार को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पीड़ित परिवार को आवास, स्वरोजगार की सुविधा दी जाएगी साथ ही ऐसे परिवार के सदस्यों को चतुर्थ श्रेणी के पदों पर अनुकंपा नियुक्ति शीघ्र दी जाएगी। योजना को अमली जामा पहनाने के लिए विभागीय अधिकारियों से सूची मांगी गई है।कलेक्टर केन को एसपी द्वारा सौंपी गई...

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पालीथिन के खिलाफ चला जन अभियान

संवाद केन्द्र, शिमला : 'पालीथिन हटाओ, पर्यावरण बचाओ' मुहिम सोमवार से प्रदेशभर में शुरू हुई। 26 दिसंबर तक चलने वाली इस मुहिम के तहत पालीथिन एकत्र किया जाएगा और इसे लोक निर्माण विभाग को सौंपा जाएगा। जहां वह इसका प्रयोग सड़कों के निर्माण में करेगा। इस मुहिम में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाली पंचायतों को पुरस्कृत भी किया जाएगा। शिमला जिला में ग्राम पंचायत थड़ी में उपायुक्त शिमला जेएस राणा ने इस मुहिम की शुरुआत की।...

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कितना भूखा है मध्यप्रदेश: शिरीष खरे

झाबुआ, मध्यप्रदेश: कुपोषण ने दो दर्जन से ज्यादा बच्चों को निगला है- यह हाल आदिवासी जिले झाबुआ का है, जहां मेघनगर ब्लाक के अगासिया और मदारानी गांवों में बच्चों की मौत का सिलसिला है कि टूटता ही नहीं। फिलहाल पूरा मध्यप्रदेश ही इतना भूखा है कि यहां न जाने क्यों भूख का नामोनिशान है कि मिटता ही नहीं ?केवल अक्टूबर में ही झाबुआ के इन 2 गांवों से 25 बच्चों...

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