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सार्वजनिक बैंकों को 87,000 करोड़ रुपये का घाटा

ई दिल्ली। फंसे कर्जों (एनपीए), घोटालों और घपलों की मार झेल रहे सार्वजनिक बैंकों को इस वर्ष मार्च में खत्म वित्त वर्ष के दौरान कुल 87,300 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। बैंकों द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के दौरान 21 सार्वजनिक बैंकों में से सिर्फ इंडियन बैंक और विजया बैंक मुनाफे में रहे, जबकि बाकी 19 बैंकों को घाटे का सामना करना पड़ा। इनमें पीएनबी और...

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श्रम क्षेत्र में सुधारों से तीन साल में एक करोड़ रोजगार पैदा होने का अनुमान: Report

एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर भारत श्रम कानूनों में सुधार सहित विभिन्न नियामकीय सुधारों को आगे बढ़ाता है तो आने वाले तीन साल में बिक्री कारोबार के क्षेत्र में एक करोड़ रोजगार सृजित हो सकते हैं. स्टाफिंग फर्म टीमलीज र्सिवसेज ने एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला है. फर्म की कार्यकारी उपाध्यक्ष ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा, केवल दस नियामकीय सुधार करते हुए हम अगले तीन साल में बिक्री करने के काम...

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कैंसर की तरह फैलता अवैध निर्माण - संजय गुप्त

हिमाचल प्रदेश के कसौली में एक होटल मालिक ने अवैध निर्माण हटाने आईं सहायक नगर नियोजन अधिकारी शैलबाला की जिस तरह गोली मारकर हत्या कर दी, वह अपराध की सामान्य घटना नहीं है। शैलबाला को गोली मारने वाले होटल मालिक ने पहले ले-देकर अपने अवैध निर्माण को बचाने की कोशिश की। जब वह नाकाम रहा तो उसने पुलिस की मौजूदगी में सहायक नगर नियोजन अधिकारी की हत्या कर दी। यह...

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अर्थशास्त्रियों-समाजशास्त्रियों ने नीति आयोग को कटघरे में खड़ा किया, PM मोदी से की सीइओ को हटाने की मांग

पटना : नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत द्वारा बिहार के कारण देश को पिछड़ा बताये जाने पर राज्य के अर्थशास्त्रियों और समाजशास्त्रियों ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है. बिहार निवासी समाजशात्री-अर्थशास्त्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नीति आयोग के सीईओ को तत्काल हटाये जाने की मांग की है. मालूम हो कि मंगलवार को दिल्ली में आयोजित एक व्याख्यान के दौरान उन्होंने कहा था, ‘‘बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़,...

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बेगाने होते बच्चे-- आशुतोष चतुर्वेदी

पहले तनाव सिर्फ वयस्क लोगों में होता था, लेकिन अब इसकी चपेट में बच्चे भी आ गये हैं. बच्चों में तनाव सबसे अधिक पढ़ाई को लेकर है, माता-पिता से संवादहीनता को लेकर है. परिवार, स्कूल और कोचिंग में वे तारतम्य स्थापित नहीं कर पाते और तनाव का शिकार हो जाते हैं.   हमारी व्यवस्था ने उनके जीवन में अब सिर्फ पढ़ाई को ही रख छोड़ा है. रही सही कसर टेक्नोलॉजी ने...

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