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लाख की खेती बदल रही है इन महिलाओं की ज़िंदग़ी- नीरज सिन्हा

गीता देवी ठेठ गंवई महिला हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। कच्चा और खपरैल वाला मकान। खेती भी जीने लायक नहीं। लेकिन उन्होंने अपनी तंगहाली को दूर करने का रास्ता निकाला और लाह की खेती के गुर सीखे। स्थानीय भाषा में लाह कहा जाता है मगर प्रचलित भाषा में वह लाख है। कुछ दिनों तक फाका काटा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। वह इसमें रमती चली गईं। नतीजा सामने था।...

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लाख की खेती बदल रही है इन महिलाओं की ज़िंदग़ी- नीरज सिन्हा

गीता देवी ठेठ गंवई महिला हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। कच्चा और खपरैल वाला मकान। खेती भी जीने लायक नहीं। लेकिन उन्होंने अपनी तंगहाली को दूर करने का रास्ता निकाला और लाह की खेती के गुर सीखे। स्थानीय भाषा में लाह कहा जाता है मगर प्रचलित भाषा में वह लाख है। कुछ दिनों तक फाका काटा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। वह इसमें रमती चली गईं। नतीजा सामने था।...

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बंगाल की जूट मिलों पर बंदी का खतरा

कोलकाता: सरकारी खाद्य खरीद एजेंसियों से ऑर्डर की कमी के चलते अनेक जूट मिलों के बंदी के कगार पर पहुंच जाने के कारण जूट उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है. पांच जूट मिलें पहले ही बंद हो चुकी हैं, जबकि अन्य में उत्पादन में भारी कटौती की गयी है. इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के सचिव एसपी बख्शी ने कहा है कि पहले ही 50,000 कर्मचारी बेरोजगार हो गये हैं और...

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राज्य सरकार ने दी कई परियोजनाओं को मंजूरी, पहले 600 करोड़ का निवेश

कोलकाता: राज्य सरकार ने सोमवार को कई औद्योगिक परियोजनाओं को मंजूरी दी. इससे प्रथम चरण में लगभग 600 करोड़ रुपये के निवेश के साथ कई हजार लोगों के लिए रोजगार सृजन की संभावनाएं हैं. सोमवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में नवान्न भवन में उद्योग, मूलभूत सुविधा तथा रोजगार मामलों की स्थायी कमेटी की बैठक हुई. बैठक के बाद उद्योग मंत्री अमित मित्र ने बताया कि बैठक में कई बड़े औद्योगिक प्रस्तावों...

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आदिवासी विमर्श का दायरा- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 25 नवंबर, 2013 : बढ़ता कृषक असंतोष, छिटपुट विस्फोटों से प्रकट हो रहा है- भू-स्वामियों के बढ़ते शोषण और दमन के विरोध में सशस्त्र प्रतिरोध की तरफ बढ़ता हुआ यह घटनाचक्र पूरे देश के पैमाने पर, विशेषकर आदिवासियों की तरफ फैलता जा रहा है।’ क्या शीर्षक (आदिवासी: शोषितों में सबसे बुरी स्थिति) समेत इन पंक्तियों के बारे में यह ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कब लिखी गई होंगी?...

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