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अधिक बच्चे पैदा करने की शक्तियों जैसे जुमलों से गुमराह होने वाले मतदाताओं को इससे संबंधित आधिकारिक डेटा जरूरी देखने चाहिए!

अन्य धार्मिक समुदायों के पुरुषों की तुलना में मुस्लिम पुरुषों द्वारा बच्चे पैदा करने को अक्सर एक राजनैतिक प्रोपैगेंडा के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और चुनाव से ठीक पहले भारतीय बहुसंख्यक हिंदुओं से वोट प्राप्त करने के लिए एक विभाजनकारी प्रोपैगेंडा बनाया जाता है. मानव विकास, रोजगार सृजन, और गरीबी में कमी जैसे सकारात्मक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, चुनावों से ठीक पहले राजनीतिक अभियान अक्सर...

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कैसा विकास: अपने बच्चों के लिए पोषक आहार खरीदने में असमर्थ है दुनिया की 42 फीसदी आबादी

-डाउन टू अर्थ, एक ओर तो हम विकास की बड़ी-बड़ी बाते करते हैं वहीं दूसरी ओर देखें तो दुनिया में अभी भी करीब 42 फीसदी आबादी पौष्टिक आहार खरीदने में असमर्थ है। जिसका मतलब है कि 300 करोड़ से ज्यादा लोग अपने और अपने परिवार के लिए ऐसा आहार खरीदने के काबिल नहीं हैं जो उन्हें और उनके बच्चों को पर्याप्त पोषण दे सकता है। यही नहीं खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ)...

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भारत में कुपोषण का संकट और गहराया, देशभर में 33 लाख से अधिक बच्चे कुपोषित

-न्यूजलॉन्ड्री,  कुपोषण भारत की गम्भीरतम समस्याओं में एक है फिर भी इस समस्या पर सबसे कम ध्यान दिया गया है. आज भारत में दुनिया के सबसे अधिक अविकसित (4.66 करोड़) और कमजोर (2.55 करोड़) बच्चे मौजूद हैं. इसकी वजह से देश पर बीमारियों का बोझ बहुत ज्यादा है, हालांकि राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़े बताते है कि देश में कुपोषण की दर घटी है लेकिन न्यूनतम आमदनी वर्ग वाले परिवारों...

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क्या हैं अमीर व गरीब देशों के लिए प्राकृतिक संपदा के मायने?

-डाउन टू अर्थ, जिस समय दुनिया वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने के लिए ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन फॉर क्लाइमेट चेंज के बैनर तले कॉप-26 में कार्बन बजट पर चर्चा करने में व्यस्त थी, ठीक उसी समय एक अन्य मोर्चे पर एक और महत्वपूर्ण बहस चल रही थी। इस बहस के केंद्र में था कि क्या हम प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं? यह बहस उस उपभोग...

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कॉप-26: सौ महीने से कम समय बाकी, इन वजहों से हो सकती है नतीजे मिलने में दिक्कत

-डाउन टू अर्थ, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (कॉप-26) के तहत 31 अक्टूबर से 12 नवंबर के बीच चलने वाला 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन अपनी निर्धारित समय-सीमा से एक दिन आगे तक चला। वैश्विक जलवायु संकट से निपटने को अपने प्रयासों मे तेजी लाने के लिए अंततः इसमें ग्लासगो जलवायु समझौता (जीसीपी ) पर सहमति बनी। अंतिम सत्र में 197 देशों द्वारा तैयार जीसीपी में जिन सिद्धांतों का...

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