देश की अर्थव्यवस्था से आजकल अजीब इशारे मिले हैं। बीते अक्तूबर में औद्योगिक उत्पादन 4.2 फीसद गिरा। जुलाई से सितंबर की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई। सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पूरा जोर लगा रखा है, लेकिन देशी-विदेशी पूंजीपति नया निवेश करने से कतरा रहे हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हमारा देश ‘बैलेंस शीट रिसेशन' के...
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बीमा विदेशीकरण की बेचैनी क्यों- अरविन्द मोहन
संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...
More »कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...
More »स्मार्ट सिटी और स्वतंत्रता- डा. भरत झुनझुनवाला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 100 स्मार्ट सिटी स्थापित करने का संकल्प आगे बढ़ता दिख रहा है. वाराणसी का विकास जापान के क्योटो शहर की तर्ज पर करने के लिए जापान ने सहायता करना स्वीकार कर लिया है. तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद को दुबई की मदद से स्मार्ट सिटी बनाने को एक शिष्टमंडल दुबई भेजा है. देश के राज्यों में स्मार्ट सिटी बनाने की होड़ सी लगी हुई है. यह एक...
More »क्या रूबल की खराब सेहत पूरी दुनिया का मूड बिगाड़ेगी?
दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं की सेहत अच्छी नजर नहीं आ रही है। सबसे ज्यादा नाजुक स्थिति रूस की है, जहां कि मुद्रा रूबल में भारी गिरावट हो रही है। इससे वहां के नागरिकों के साथ ही कई देशों की धड़कने बढ़ गई हैं। संकट जारी रहा तो मंदी का भारी दौर देखना पड़ सकता है। अमेरिका में फेडरल रिजर्व की अध्यक्ष जेनट येलने का कहना है कि रूस में जारी संकट...
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