SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 1984

दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिक कोरोना वायरस से लड़ाई में किस रणनीति को सबसे कारगर मान रहे हैं?

-सत्याग्रह, भारत में अनलॉक 5.0 शुरू हो चुका है. लॉकडाउन खोलने के इस पांचवे चरण में पिछले दिनों देश भर के सिनेमाघर खुल चुके हैं. बेशक, अभी इन्हें आधी क्षमता के साथ ही खोला जा रहा है, ऑनलाइन बुकिंग को वरीयता देने के चलते इनके टिकट काउंटर लगभग बंद से ही हैं और इनमें खाने-पीने की सिर्फ पैकेटबंद चीजें ही फिलहाल परोसी जा रही हैं. थर्मल जांच, मास्क पहनने की अनिवार्यता...

More »

वायनाड के आदिवासी छात्रों ने शिक्षा में संस्थागत भेदभाव के खिलाफ उठाई आवाज

-कारवां, केरल का आदिवासी समुदाय हमेशा से ही माध्यमिक और उच्च शिक्षा के मामले में बड़े नुकसान में रहा है और कोविड-19 महामारी के समय में आदिवासी छात्रों के सामने आने वाली मुश्किलें बढ़ गई हैं. केरल में स्कूलों और कॉलेजों ने डिजिटल क्लास लेनी शुरू की है लेकिन अक्सर आदिवासी और दलित छात्रों के लिए इस रूप में पढ़ाई कर सकना लगभग असंभव है. समाज के हाशिए पर रहने वाले...

More »

हर चार में से तीन ग्रामीण भारतीयों को नहीं मिल पाता पौष्टिक आहार: रिपोर्ट

-द वायर, इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा प्रकाशित एक पेपर में कहा गया है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले हर चार में से तीन भारतीयों को पौष्टिक आहार नहीं मिल पाता है. बता दें कि हाल में जारी वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में भारत 107 देशों की सूची में 94वें स्थान पर है और भूख की ‘गंभीर’ श्रेणी में है. विशेषज्ञों ने इसके लिए खराब कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावी निगरानी की कमी, कुपोषण से निपटने का...

More »

कम ही लोग जानते हैं कि चे गेवारा भारत आए थे और न के बराबर यह कि वे यहां क्या करने आए थे

-सत्याग्रह, वे छह महीने पहले क्यूबा में हुई सशस्त्र क्रांति के बड़े नायक थे. सरकार के गठन के बाद राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो ने उन्हें तीसरी दुनिया के देशों से संबंध कायम करने का जिम्मा सौंपा. क्यूबा की क्रांति के दूत बनकर चे ने कई देशों की यात्रा की. भारत सरकार से उन्हें खास बुलावा था, जिसने फिदेल कास्त्रो की सरकार को फौरन मान्यता दी थी. मिस्र होते हुए चे गेवारा भारत...

More »

लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को रोका जा सकता था

-द वायर, अप्रैल-मई 2020 में राष्ट्रीय लॉकडाउन से लोगों के रोजगार और आय पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा. उदाहरण के लिए, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सेंटर फॉर इकोनॉमिक परफॉरमेंस के द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग आधे शहरी कामगारों ने उस अवधि के दौरान कोई आय अर्जित नहीं की. कई सार्वजनिक सेवाएं भी कम या बंद कर दी गईं. इसमें नियमित स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. लॉकडाउन के दौरान...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close