पटना। सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं के कारण अब गरीबों को भूखे पेट नहीं सोना पड़ता है। सस्ते दर पर मिलने वाले अनाज के कारण अब रोटी की समस्या नहीं रह गई है। अंत्योदय योजना के तहत 2 रुपये की दर पर 21 किलोग्राम गेहूं तथा 3 रुपये की दर पर 14 किलोग्राम चावल दिया जाता है। जबकि बीपीएल परिवार को 25 किलो गेहूं-चावल मिलता है। अत्यंत निर्धनों को...
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तिल-तिल मार रहा क्रोमियम
कानपुर [जासं]। शहर में बड़ी आबादी प्रदूषित पानी पी रही है। जूही व नौरेया खेड़ा के भूगर्भ जल में घुला क्रोमियम पनकी तक पहुंच गया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जाच में पनकी में डंकन इंडस्ट्रीज के बाहर हैंडपंप में एक लीटर पानी में क्त्रोमियम की मात्रा 0.061 मिली। यह नया इलाका है, जहा पानी में क्रोमियम चिह्नित किया गया है। कई लोग पहुंचे अस्पताल क्रोमियमयुक्त पानी पीने और...
More »सरकारी कागजों में स्लम का अकाल
अगर कोई पूछे कि मुंबई महानगर में झोपड़ बस्तियों को हटाने की दिशा में जो काम हो रहा है, उसका क्या असर पड़ा है तो इस सवाल का एक जवाब ये भी हो सकता है- आने वाले दिनों में झोपड़ बस्तियों की संख्या बढ़ सकती है. मुंबई महानगर का कानून है कि जो बस्ती लोगों के रहने लायक नहीं है, उसे स्लम घोषित किया जाए और वहां बस्ती सुधार की योजनाओं...
More »निजी नलकूपों ने लगाया भूजल स्तर को ग्रहण
भोपाल। गर्मी के आते ही शहर में पानी की किल्लत शुरू हो गई है और नगर निगम मुख्यालय में अधिकारी अभी जल संकट से निपटने की योजना भी नहीं बना पाए हैं। करोद जैसी घनी आबादी में पानी की खरीदी बिक्री का खेल शुरू हो गया है। शहर में बढ़ते नलकूपों के खनन ने भूजल स्तर को ऐसा ग्रहण लगाया है कि कई बस्तियों में पानी के लिए हाहाकार की स्थिति बन रही है। जानकारी...
More »पत्थरों की खदानों से लौटा बचपन || बिदिसा फौजदार/शिरीष खरे ||
कभी बाल मजदूरी करने वाला महेन्द्र अब बच्चों के अधिकारों से जुड़ी कई लड़ाईयों का नायक है। महेन्द्र के कामों से जाहिर होता है कि छोटी सी उम्र में मिला एक छोटा सा मौका भी किसी बच्चे की जिंदगी को किस हद तक बदल सकता है। महेन्द्र रजक, इलाहाबाद जिले के गीन्ज गांव से है- जहां की भंयकर गरीबी अक्सर ऐसे बच्चों को पत्थरों की खदानों की तरफ धकेलती है। महेन्द्र...
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