ऐसे समय में जबकि खाद्य पदार्थो की कीमतें आसमान छू रही हैं और दुनिया में भुखमरी अपने पैर पसार रही है, जलवायु परिवर्तन से संबंधित विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि आने वाले वक्त में हमें और भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा। दिनों-दिन बढ़ते वैश्विक तापमान की वजह से भारत की कृषि क्षमता में लगातार गिरावट आती जा रही है।एक अनुमान के मुताबिक इस क्षमता में 40 फीसदी तक की कमी हो सकती...
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असफल रहा रोम का खाद्य-सुरक्षा सम्मेलन
रोम(इटली) में 16 नवंबर से खाद्य सुरक्षा के मामले पर जिस तीन दिनी विश्व सम्मेलन का आयोजन हुआ उसके समापन की घड़ी आई तो सम्मेलन के भागीदारों में घोषणाओं को लेकर आपस में ही सहमति नहीं थी।सम्मेलन के अंत में जो एलान किए गए उससे असंतुष्ट लोगों में जैक्स डिओफ का भी नाम शामिल हैं और डिओफ का एलानों से असंतुष्ट होना मायने रखता है क्योंकि वे खुद यूएन के...
More »संरा का भूख सम्मेलन रोम में शुरू
रोम। विश्व के लगभग एक अरब लोगों की दुर्दशा पर ध्यान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र का एक सम्मेलन यहां शुरु हो गया। दूसरी ओर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यह सम्मेलन समय की बर्बादी है क्योंकि विश्व के सबसे धनी देशों के नेता सम्मेलन में उपस्थित नहीं हुए हैं। आगामी बुधवार तक चलने वाले सम्मेलन में आठ औद्योगिक देशों में से सिर्फ इटली के प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी...
More »ग्रामीण इलाकों में फिर से दिखाई देने लगे परिंदे
लुधियाना। पंजाब में हरित क्राति के बाद कृषि मित्र पक्षियों की संख्या में अचानक कमी हो गई। कारण था छायादार पेड़ों की संख्या में कमी और कमाई के लिए लगाए गए नुकीले पेड़ों पर घोंसलों का असुरक्षित होना। इसी के चलते गटार, लालड़ी , छोटी चिड़िया (हाउस स्पैरो), चक्कीराहा (हुप्पू), कठफोड़वा (वुडपेकर), नीलकंठ (ब्ल्यू जे), छोटा व बड़ा उल्लू जैसे पक्षियों की संख्या लगातार कम होने लगी। हालाकि, इसके पीछे...
More »भुखमरी और कुपोषण के हालात बयान करते दो और रिपोर्ट
दो जून भर पेट भोजन ना जुटा पाने वालों की तादाद दुनिया में इस साल एक अरब २० लाख तक पहुंच गई है और ऐसा हुआ है विश्वव्यापी आर्थिक मंदी और वित्तीय संकट(२००७-०८) के साथ-साथ साल २००७-०८ में व्यापे आहार और ईंधन के विश्वव्यापी संकट के मिले जुले प्रभावों के कारण। यह खुलासा किया है संयुक्त राष्ट्र संघ की इकाई फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन की हालिया रिपोर्ट ने । द...
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