भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के बाद अब आदिवासियों और जंगलों का मामला विवाद में है। ग्राम सभा की सहमति को, जो वन अधिकार कानून के अंतर्गत अनिवार्य है, समाप्त करने के संकेत मिल रहे हैं। संसद के इसी सत्र में यह प्रस्ताव लाया जा रहा है। जिन्हें हम आज अनुसूचित जातियों के अंतर्गत गिनते हैं, उन आदिवासियों की दशा अंग्रेजों के आगमन के समय से ही दयनीय हो चली थी। अंग्रेज...
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भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
किसानों के एक समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर विवादित भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को दोबारा जारी की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। याचिका में गत तीन अप्रैल को एनडीए द्वारा जारी किए गए भूमि अधिग्रहण संशोधित अध्यादेश को निरस्त करने की गुहार लगाई गई है। पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा कि महज इसलिए कि सरकार को राज्यसभा में बहुमत नहीं है,...
More »प्रतिष्ठा का प्रश्न बना भूमि अधिग्रहण विधेयक - परंजॉय गुहा
मोदी सरकार का भू-अधिग्रहण अध्यादेश 5 अप्रैल को समाप्त हो रहा है और सरकार ने पुन: अध्यादेश लाने का निर्णय किया है। यह एक बहुत बड़ा राजनीतिक जुआ है। चूंकि राजग के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं है, इसलिए पूरी संभावना है कि जब यह अध्यादेश विधेयक की शक्ल में वहां जाएगा, तो निरस्त हो जाएगा। ऐसे में सरकार के पास संसद का संयुक्त सत्र बुलाने के सिवा कोई और...
More »भूमि अधिग्रहण का विरोध यों ही नहीं!
झारखंड में आदिवासियों की जमीन का मुआवजा बिचौलिये निगल गये. धनबाद में रिंग रोड के लिए अधिगृहीत की गयी जमीन के बदले आदिवासियों को ये पैसे दिये गये थे. 11 करोड़ 10 लाख रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया है. अगर जांच आगे बढ़े, तो यह राशि और भी अधिक हो सकती है. मामला संज्ञान में आने के बाद पूरे राज्य में हड़कंप है. पूरे देश में इस वक्त...
More »भूमि-अधिग्रहण पर महाभारत- दिनेश त्रिवेदी
वर्ष 1989 में जब वीपी सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा सरकार सत्ता में आई थी तो उससे काफी उम्मीदें थीं। सरकार से आम लोगों की बहुत सारी अपेक्षाएं जुडी थीं। सामान्य धारणा यही थी कि वह लंबे अरसे तक सत्ता में बनी रहेगी, लेकिन यह सपना एक वर्ष में ही बिखरने लगा। मंडल आयोग का मुद्दा राष्ट्रीय मोर्चा सरकार के लिए वाटरलू साबित हुआ और अंतत: सरकार धराशायी हो...
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