श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...
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आपातकाल से हमने क्या सीखा- नीलांजन मुखोपाध्याय
किसी भी देश में थानेदार मानसिकता वाले लोगों की बड़ी संख्या आपको मिल जाएगी। भारत में इस तरह की सोच दरअसल औपनिवेशिक मानसिकता वाले ऐसे लोगों के जरिये आई है, जिन्हें अंग्रेजों ने स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण पदों पर बिठाया था। स्थानीय थाने के वे दारोगा हमारे आदर्श बने, जिनके पास निरंकुश क्षमता थी और जिन्हें अपने अधीनस्थों को किसी भी किस्म की सफाई देने की जरूरत नहीं थी। गणतंत्र...
More »जमीन में कोयला आकाश में कालिख
देश का नेतृत्व तेज आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध दिख रहा है। इसके लिए कोयला उत्पादन दोगुना-तिगुना करने की जरूरत है। पर दुर्भाग्य से अगर ऐसा हुआ तो भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश बन जाएगा। डेविड रोज की रिपोर्ट वित्त वर्ष मार्च 2015 के अंत तक दुधिचुआ ने 15 मीट्रिक टन कोयला उत्पादन किया, जो ब्रिटेन के कुल कोयला उत्पादन से भी अधिक है। दुधिचुआ सिंगरौली कोयला-क्षेत्र...
More »जीडीपी का तड़का और 20 करोड़ लोगों की भुखमरी- आशुतोष ओझा
नई दिल्ली। मोदी सरकार पर कॉरपोरेट की पैरोकार होने के आरोप लगते हैं। ये आरोप सही हैं या गलत, इस पर बहस हो सकती है। लेकिन,सरकार के एक साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी कैबिनेट जिस तरह उपलब्धियों का बखान और मीडिया के जरिए ढिंढोरा पीट रही है, वह संस्कृति निश्चित रूप से कॉरपोरेट जैसी ही लगती है। सरकार की बीते एक साल की उपलब्धियों के शोर...
More »उपलब्धियों से अधिक चुनौती -- अजय बोस
केंद्र की सत्ता में एक साल पूरे होने के अवसर पर भाजपा चाहे कितना भी जश्न क्यों न मनाए, वास्तविकता यह है कि उसकी परेशानी छिपाए नहीं छिप रही। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि कॉरपोरेट हितैषी की रही है। लेकिन प्रधानमंत्री बनने के बाद से उनकी यह छवि कमोबेश खंडित होती दिखाई देती है। पिछले दिनों खत्म हुए बजट सत्र में उनकी कोशिशों के बावजूद ऐसा कुछ नहीं हुआ,...
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