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छह दशकों में बदल डाली तसवीर

गांव में रहनेवाले बच्चे आमतौर पर प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा या नौकरी के इरादे से बड़े शहरों का रुख कर लेते हैं. लेकिन 84 साल के हो चले भीखूभाई व्यास ने ऐसा नहीं किया़ युवावस्था में अपने गांव को छोड़ जाने से बेहतर उन्होंने अपनी मिट्टी से जुड़े रह कर उसे संवारने का बीड़ा उठाया़ आइए जानें कैसे़ गुजरात के...

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मोदी के आदर्श गांव को संवार रहे बाहरी, पंचायत अनजान!

भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस के करीब जिस जयापुर गांव को गोद लिया है, उसमें विकास कार्यों की रफ्तार तूफानी है,लेकिन ये काम कौन करा रहा है और कैसे पूरे हो रहे हैं इसकी कोई जानकारी गांव की प्रधान दुर्गावती पटेल के पास नहीं है। सांसद आदर्श ग्राम योजना की राष्ट्रीय कार्यशाला में हिस्सा लेने भोपाल आईं दुर्गावती कहती हैं एक साल पहले गांव बदतर हालत में...

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14 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है खाद्य तेल का इंपोर्ट : एसोचैम

नई दिल्ली। वर्तमान फाइनेंशियल ईयर के दौरान मानसून की बेरुखी के कारण खाद्य तेल का इम्‍पोर्ट 14 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। ऐसा ऑयलसीड्स का प्रोडक्‍शन कम होने की वजह से होगा। यह जानकारी एसोचैम की लेटेस्‍ट स्‍टडी से सामने आई है। जरूरत के 60 फीसदी एडिबल ऑयल का होता है आयात भारत अपनी जरूरत का 60 फीसदी से अधिक एडिबल ऑयल विदेशों से इंपोर्ट करता है। देश की कुल वार्षिक...

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30 साल के सबसे बड़े सूखे जैसे हालात, घट सकती है GDP की ग्रोथ रेट

नई दिल्ली। अल नीनो की वजह से कमजोर होते मानसून ने देश के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। ऐसे में लगातार दूसरे साल फसलों के लिए मौसम प्रतिकूल हो गया है। इसका सीधा असर प्रोडक्शन से लेकर इकोनॉमी पर पड़ने की आशंका है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि करीब 30 साल बाद लगातार दूसरे साल सूखे जैसे हालात बन गए हैं। इकोनॉमिस्ट के अनुसार अगर स्थिति...

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कृष्णा का गोदावरी से आज होगा मिलन- मिथिलेश झा

नदियों के तट पर सभ्यताएं तो विकसित होती ही हैं, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था वहां की नदी और उसमें उपलब्ध के उचित प्रबंधन पर ही निर्भर होती है. खासकर भारत जैसे देश में जब मॉनसून दगा दे जाये, तो नदियों और नहरों का पानी ही किसानों का सहारा होता है. प्रकृति ने भारत को विशाल नदियों की नेमत बख्शी है. इसमें बड़ी से छोटी नदियां तक शामिल हैं. कई...

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