नई दिल्ली। तकरीबन महीने भर की देरी के बाद मानसून ने मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में राहत की बारिश शुरू कर दी है। संभावना है कि आने वाले 3-4 दिनों में देश के बाकी हिस्सों में मानसून दस्तक दे सकता है। इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रशांत महासागर में उठने वाला तूफान 'रामसून' आने वाले दिनों में मानसून में नई जान फूंक...
More »SEARCH RESULT
किसानों के लिए आनेवाले दिन बहुत भारी- देविंदर शर्मा
भारतीय मॉनसून के लिए अल नीनो, एक विलेन की तरह माना जाता है. अल नीनो की मार से ऑस्ट्रेलिया और भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं. अल नीनो से सामान्य मॉनसून की हालत बिगड़ने का अंदेशा है, जिससे बारिश कम होने की आशंका जतायी जा रही है. देश के मौसम विभाग ने इस वर्ष अल नीनो के आने की 70 फीसदी तक उम्मीद जतायी है. दरअसल, मॉनसून के सबसे बीचवाले...
More »मोटे अनाज की खेती से बहुरे किसानों के दिन
किसानों के लिए वह स्थिति और भी कष्टदायी होती है, जब मॉनसून फेल हो जाने या कम वर्षा होने के कारण वह सही तरीके से धान की फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं. कृषि वैज्ञानिक किसानों को हमेशा यह सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में उन्हें खेती के दूसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. खेती के लिए फसल के दूसरे विकल्पों में मक्का तथा मडुवा के...
More »जरूरी है छोटे किसानों के लिए वैकल्पिक खेती : डॉ हैदर
मडुवा की खेती कर खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा के लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है. सीमांत किसानों के लिए यह आवश्यक है कि धान के अलावा वह वैकल्पिक खेती अवश्य करें. इसमें मडुवा, सरगुजा, कुरथी, गुंदली व दूसरे किस्म की फसल शामिल हैं, जो पानी की कम मात्र होने पर भी अच्छी उपज दे सकते हैं. वैकल्पिक खेती पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जैवप्रोद्योगिकी विभाग के...
More »जरूरी है छोटे किसानों के लिए वैकल्पिक खेती : डॉ हैदर
मडुवा की खेती कर खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा के लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकता है. सीमांत किसानों के लिए यह आवश्यक है कि धान के अलावा वह वैकल्पिक खेती अवश्य करें. इसमें मडुवा, सरगुजा, कुरथी, गुंदली व दूसरे किस्म की फसल शामिल हैं, जो पानी की कम मात्र होने पर भी अच्छी उपज दे सकते हैं. वैकल्पिक खेती पर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के जैवप्रोद्योगिकी विभाग के...
More »