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सूखे पर सख्त सुप्रीम कोर्ट, राज्य और केंद्र को दिए कड़े निर्देश

सूखे पर सख्त रुख अपनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि केंद्र सरकार जल्द मनरेगा का पैसा जारी करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है मनरेगा ठीक से लागू नहीं है। कोर्ट की ओर से कहा गया है कि गर्मी की छुट्टियों में भी सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बच्चों को स्कूल की ओर से मिड डे मील योजना के अंतर्गत भोजन उपलब्ध कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा...

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क्यों महंगे पड़ते हैं ये सस्ते खाद्य पदार्थ- पैट्रिक होल्डेन

कभी आपने सोचा है कि बाजार में मिलने वाले गोश्त, यानी मटन के मुकाबले चिकन यानी मुर्गा इतना सस्ता क्यों होता है? यह सस्ता चिकन लोगों के लिए सेहत बनाने का एक अच्छा विकल्प भी है। लेकिन क्या यह वास्तव में इतना सस्ता होता है? या सेहत के लिए सचमुच इतना अच्छा होता है? चिकन के बड़े पैमाने पर उत्पादन से होने वाले नुकसान के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया...

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मार्च में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.83%, औद्योगिक उत्पादन दर में 2 % की वृद्धि

नयी दिल्ली : मुद्रास्फीति मार्च महीने में घटकर 4.83 प्रतिशत पर आ गयी है, जो इसका छह महीने का निचला स्तर है. मुख्य रूप से सब्जियों और दालों जैसे खाद्य उत्पादों के दाम घटने से खुदरा मुद्रास्फीति नीचे आई है. फरवरी माह की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को उपर की ओर संशोधित कर 5.18 से 5.26 प्रतिशत किया गया है. इससे पहले सितंबर, 2015 में खुदरा मुद्रास्फीति 4.41 प्रतिशत...

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सफल नहीं होती शराबबंदी-- आकार पटेल

मशहूर समाजशास्त्री एमएन श्रीनिवास ने कहा था कि गौहत्या पर प्रतिबंध की तरह ही शराबबंदी भी एक सांस्कृतिक कार्य है. श्रीनिवास के मुताबिक, इन प्रतिबंधों के लिए जो भी औचित्य गिनाये जायें, लेकिन हकीकत में इसके पीछे ब्राह्मणवादी और सवर्णवादी सोच है. हमें आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए कि हमारे संविधान निर्माताओं ने एक ही दिन 24 नवंबर, 1948 को इन दोनों मुद्दों पर बहस की थी. मैं यहां यह तथ्य...

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मिलावटी दूध की बहती गंगा - भवदीप कांग

शुरुआत इसी विरोधाभासी तथ्य से करें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है! पिछले पंद्रह वर्षों में भारत में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है। अब यह 322 ग्राम प्रतिदिन है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि जब भारत में दूध की मांग व आपूर्ति का तंत्र अच्छी तरह विकसित हो चुका है तो हम मिलावटी दूध पीने को मजबूर क्यों हैं?...

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