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टूटे चावल के निर्यात को सशर्त मंजूरी, खाद्य सुरक्षा जरूरतों के लिए दी गई अनुमति, आयातक देशों को करना होगा अनुरोध

रूरल वॉयस, 25 मई  टूटे चावल के निर्यात को सरकार ने शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है। आयातक देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए यह मंजूरी दी गई है। सरकार की ओर से जारी एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी गई है। टूटे चावल के सामान्य निर्यात पर प्रतिबंध है जो पिछले साल 9 सितंबर को लगाया गया था। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से बुधवार...

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पिछले साल गर्मी और अब भारी बारिश, गेहूं की फसल पर फिर मौसम की मार

मोंगाबे हिंदी, 25 मई इस साल मार्च में हुई भारी बारिश के चलते कई राज्यों में गेहूं की फसल को भारी नुकसान हुआ है। पिछले साल भीषण गर्मी के चलते गेहूं उत्पादन पर असर पड़ा था। इस वजह से केंद्र सरकार भी नुकसान की समीक्षा कर रही है। घरेलू आपूर्ति में कमी की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गेहूं का निर्यात फिर शुरू करने से इंकार कर दिया है।...

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गेहूं खरीद की रफ्तार हुई सुस्त, 261 लाख टन पर पहुंची

 रूरल वॉयस, 24 मई   केंद्रीय और राज्यों की एजेंसियों की ओर से की जा रही गेहूं की सरकारी खरीद की रफ्तार सुस्त हो गई है। चालू मार्केटिंग सीजन 2023-24 के 21 मई तक गेहूं खरीद 341.50 लाख टन के लक्ष्य के मुकाबले 261.44 लाख टन पर पहुंच गई है। केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले मार्केटिंग सीजन 2022-23 की इसी अवधि तक 181.58...

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भारत में 51 वर्षों के दौरान चरम मौसम से जुड़ी 573 आपदाओं में 138,377 लोगों ने अपनी जान गंवाई

डाउन टू अर्थ, 23 मई  विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने पिछले 51 वर्षों का आंकड़ा जारी करते हुए जानकारी दी है कि 1970 से 2021 के बीच भारत में जलवायु से जुड़ी 573 चरम आपदाएं जैसे बाढ़, सूखा, तूफान, लू, भीषण गर्मी, भूस्खलन और दावाग्नि की वजह से 138,377 लोगों ने अपनी गंवाई है।  डब्ल्यूएमओ द्वारा यह जानकारी हर चार वर्षों में होने वाली विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस में जारी किए...

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राजस्थान की अवांछित बेटियां: लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या

रूरल वॉयस, 22 मई भारत में कपास के उत्पादन में हाल के वर्षों के दौरान गिरावट आई है। यह गिरावट वर्ष 2015 से लगातार है। इस दौरान उत्पादन सालाना 400 लाख गांठ से घटकर 310 लाख गांठ रह गया है। कीटों का प्रभाव नए सिरे से बढ़ने और विपरीत जलवायु परिस्थितियों के कारण यील्ड नहीं बढ़ रही है। विश्व औसत कपास उत्पादकता 768 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि भारत का राष्ट्रीय...

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