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मनमोहन सिंह सफल रहे पर भ्रष्टाचार नहीं मिटा पाये- अमर्त्य सेन

भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था पर नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन की राय सबसे जुदा होती है। इन दोनों में वह मानव विकास के मायने ढूंढ़ते हैं। नई सरकार की चुनौतियों व संभावनाओं और मौजूदा सरकार की उपलब्धियों तथा खामियों पर उनसे दैनिक हिन्दुस्तान के ललिता पणिकर और गौरव चौधरी ने विस्तृत बातचीत की। बातचीत के अंश- आर्थिक मंदी के बीच नई सरकार की क्या प्राथमिकताएं होनी चाहिए? कुछ लंबे समय के...

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राज्यों से बेहतर तालमेल जरूरी- नृपेन्द्र मिश्र

बस दो हफ्तों की बात और है, इसके बाद केंद्र में एक नई सरकार होगी, जिसे बेकाबू भ्रष्टाचार, धीमी विकास दर, बेरोजगारी, आवश्यक वस्तुओं के बढ़ते दामों और गहरी जड़ें जमा चुकी दोषपूर्ण मान्यताओं से उपजी राजनीतिक व्यवस्‍था जैसी विकराल चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। चुनावी सरगर्मियों पर नजर डालने से साफ पता चलता है कि ऐसे तीन मुद्दे हैं, जो औसत मतदाता की परेशानियों का सबब बनते हैं। इनमें सबसे...

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वचन और प्रवचन के बीच- शंकर अय्यर

लोकसभा चुनाव के विजेता का पता तो 16 मई को ही चलेगा। हालांकि चुनावी सर्वेक्षणों ने पराजित होने वाले की घोषणा पहले ही कर दी है। सर्वेक्षण यह भी बताते हैं कि महंगाई, विकास और भ्रष्टाचार ही वे प्रमुख तीन मुद्दे हैं, जिन पर मतदाता वोट करेंगे। इसमें हैरत नहीं होना चाहिए, क्योंकि भारत पहले ही दहाई के पार जा रही खाद्य मुद्रास्फीति से त्रस्त है। जिनके पास नौकरी है, उन्हें उसे...

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मध्य वर्ग का बहुत कुछ दांव पर- लीला फर्नांडिज

भारत का मध्यवर्ग लोकसभा चुनाव के केंद्र में है। नरेंद्र मोदी और भाजपा ने ‘नव मध्यवर्ग’ के तौर पर एक नई राजनीतिक पहचान देकर सुनियोजित ढंग से शहरी मध्यवर्ग को लुभाने की कोशिश की है। इस नई पहचान ने मध्यवर्ग की आकांक्षाओं को नए पंख दिए हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार से मध्यवर्ग को मिली मायूसी के कारण भाजपा की यह रणनीति काम करती दिख रही है। असमान आर्थिक विकास, बढ़ती...

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'खुदरा महंगाई रह सकती है 8-10% के बीच'

मार्च 2015 तक खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी तक जाने के बजाये 8-10 फीसदी के दायरे में रह सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा अल-नीनो के प्रभाव से खाद्यान्न की कीमतों के अधिक रहने से होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च में खुदरा और थोक महंगाई दर दोनों ही खाद्यान्न कीमतों में वृद्धि के कारण अधिक रही है।...

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