स्त्री एवं पुरुष समाज रूपी रथ के दो पहिया हैं. एक पहिया कमजोर हो जाय या टूट जाय तो रथ के आगे बढ़ने की संभावना क्षीण हो जाती है. इसके बाद भी बेटे को लेकर हमारा समाज जितना संजीदा है उतनी बेटियों को लेकर नहीं है. यही वजह है कि बेटियों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण एवं सुरक्षा की समस्या गंभीर बनी हुई है. बेटियों के मामले में कल्याणकारी राज्य के भी जो...
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1991 जैसे संकट की नौबत नहीं: मनमोहन
नई दिल्ली। डालर के मुकाबले गिरते रुपए और शेयर बाजार में जारी गिरावट को थामने के सरकार के प्रयासों के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में 1991 के भुगतान संकट की पुनरावृत्ति और अर्थव्यवस्था के वैश्वीकरण की राह से हटने की आशंकाओं को शनिवार को खारिज कर दिया। प्रधानमंत्री ने वैश्वीकरण और वित्तीय समस्याओं से घिरी अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति की सीमाओं और संभावनाओं पर नए सिरे से गौर...
More »जीवन की पाठशाला- बृजेश सिंह
शिक्षा जब कारोबार की जगह सरोकार से जुड़ती है तो क्या चमत्कार हो सकता है, यह बताता है पंजाब के गुरदासपुर जिले में चल रहा एक अनोखा कॉलेज. बृजेश सिंह की रिपोर्ट. दृश्य -1: कॉलेज के मेन गेट पर खड़ी एक लड़की. उम्र करीब 18-19 साल. कॉलेज की ड्रेस पहने यह लड़की हाथों में किताब लिए हुए है. बाहर से कोई दरवाजा खटखटाता है. वह गेट के झरोखे से आने...
More »छत्तीसगढ़: संकट में उद्योग- प्रियंका कौशल
देश में तेजी से औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहे छत्तीसगढ़ में इन दिनों मिनी स्टील प्लांट की हड़ताल से लोहा उद्योग की रफ्तार पर तो ब्रेक लग ही गया है साथ ही इसके चलते हजारों मजदूरों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. इन दिनों छत्तीसगढ़ में मिनी स्टील प्लांट सरकार से जीवनदान की याचना कर रहे हैं. राज्य सरकार से विशेष राहत...
More »सबकी धरती, सबका हक- प्रियंका दुबे
लापोड़िया और रामगढ़ की कहानी देश में चौतरफा फैले जल संकट का समाधान तो सुझाती ही है, लेकिन उससे भी बढ़कर सामाजिक समानता की नींव पर बने एक प्रगतिशील समाज का सपना भी साकार करती है. रिपोर्ट और फोटो: प्रियंका दुबे ऐसे समय में जब पानी की किल्लत दिल्ली-मुंबई से लेकर जयपुर तक सैकड़ों भारतीय शहरों को सूखे नलों के मकड़जाल और अनंत प्रतीक्षा के रेगिस्तान में तब्दील कर रही है,...
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