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'ऐसी बस्ती में कोई कैसे रह सकता है'

भोपाल। ये गैस प्रभावित बस्ती है। इतनी गंदी बस्ती में लोग कैसे रह रहे हैं। न तो इन बस्तियों में साफ-सफाई है, न ही पीने के लिए शुद्ध पानी। यहां के हालात तो बदतर हैं। यह कहना था गैस पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष और हाईकोर्ट के न्यायाधीश केके लाहोटी का। जैसे ही श्री लाहोटी गैस प्रभावित बस्तियों का जायजा लेने पहुंचे, गैस पीड़ितों ने शिकायतें...

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मनरेगा 2.0 का शुभारंभ- नए दिशा-निर्देश

देश की सरकार ने मिहिर शाह समिति की सिफारिशों पर आधारित महात्मा गांधी नरेगा(एमजीएनएआरजीईए) से संबंधित नए दिशा-निर्देशों को औपचारिक रुप से लागू कर दिया है। नए दिशा-निर्देशों में संरक्षण-गतिविधियों के अन्तर्गत कई नए कामों को शामिल किया गया है, साथ ही ग्राम-पंचायत और ग्राम-सभा के हाथ मजबूत करने के प्रयास किए गए हैं। बहरहाल, जिन नए कामों को दिशा-निर्देश के अनुरुप शामिल किया गया है उसमें धान के सघनीकरण से जुड़ी गतिविधि (एसआरआई) शामिल नहीं...

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अब बदलेगी गांव की तस्वीर, लिया तीस गांव को गोद

पुणो. लोकमान्य बहुद्देशीय सहकारी संस्था ने आजादी के 65 साल बाद भी विकास की किरण को तरस रहे महाराष्ट्र-बेलगांव सीमाई क्षेत्र के तीस गांवों का आर्थिक तौर पर कायाकल्प करने का बीड़ा उठा लिया है। इस पहल से गांवों के लोग आर्थिक रूप से निश्चित रूप से सक्षम हो सकेंगे यह विश्वास संस्था के संस्थापक अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार किरण ठाकुर ने गुरुवार को व्यक्त किया। श्री ठाकुर के मुताबिक चार वर्ष पहले...

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गांव जाएं बैंकर

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टूक शब्दों में कहा कि बैंकों में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है. सतर्कता के बावजूद किसान क्रेडिट कार्ड में अब भी बिचौलयों का राज है. उन्होंने नसीहत दी कि जनता को समयसीमा के अंदर बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सिटीजन चार्टर बनाया जाना चाहिए. वरीय अधिकारी गांवों में जाएं और शाखा स्तर पर जनता की परेशानियों को देखें व सुनें. वह बुधवार को...

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हिंसक प्रतिरोध कितना उचित- हर्षमंदर

बहुतेरी संस्कृतियों में अन्याय के प्रतिरोध को सर्वोच्च मानवीय दायित्व का दर्जा दिया गया है। इसी क्रम में एक बहस सदियों से जारी है और आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। यह है अत्याचार और अन्याय के प्रतिरोध में हिंसा की वैधता। सवाल यह है कि अगर राज्यसत्ता के कुछ सशक्त प्रतिनिधि अगर अन्यायपूर्ण हो गए हों तो क्या उनके प्रतिरोध के लिए हिंसा उचित है? दूसरे शब्दों में क्या न्याय के...

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