काम पूरा - खरीफ सीजन में 819.99 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है बुवाई आवंटन वर्ष 2013-14 के लिए एनएफएसएम के तहत 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन दलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए 1,100 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे वर्ष 2012-13 में दालों का रिकार्ड 184.5 लाख टन उत्पादन का अनुमान दालों के रिकार्ड उत्पादन के बावजूद आयात पर निर्भरता नहीं घटी केंद्र सरकार दलहन और खाद्य...
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405 करोड़ का धान लिया, नहीं दिया चावल
पटना: राइस मिल मालिकों ने राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) को 405 करोड़ से अधिक राशि के धान से चावल तैयार कर नहीं लौटाया है. 2011-12 में किसानों से धान खरीद कर 1091 मिल मालिकों को चावल तैयार करने के लिए दिया गया था. इन्हें 100 क्विंटल धान के बदले 67 क्विंटल चावल (67 प्रतिशत) तैयार कर देना था. मिल मालिकों ने धान तो ले लिया, लेकिन 28 लाख 42 हजार 355 क्विंटल...
More »अब हर जिले में तैयार होंगे 40 मास्टर ट्रेनर
पटना : मिड डे मील हादसे के बाद इसके संचालन को लेकर विभाग ने कई पहल किये हैं. इसी क्रम में मिड डे मील के रसोइयों को नियमित ट्रेनिंग देने की व्यवस्था सुनिश्चित होगी. हर जिले के 35-40 रसोइयों को मास्टर ट्रेनर बनाया जायेगा. इसके लिए इन्हें विशेष रूप से पांच दिवसीय ट्रेनिंग होटल मैनेजमेंट संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा दी जायेगी. ये मास्टर ट्रेनर अपने जिले के अन्य रसोइयों को ट्रेनिंग...
More »बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा जरूरी : डॉ शैबाल
पटना: बिहार के विकास के लिए विशेष राज्य का दर्जा मिलना जरूरी है. अंगरेजी हुकूमत व आजादी के बाद भी बिहार को उचित हक नहीं मिला. देश की आर्थिक नीति ऐसी बनी कि महाराष्ट्र, गुजरात व तमिलनाडु जैसे विकसित राज्य और विकसित होते गये और बिहार लगातार पिछड़ता गया. अभी केंद्र सरकार से हक मांगने का अनुकूल समय है. ये बातें आद्री के सदस्य सचिव व पिछड़े राज्यों के मानक तय...
More »रावणा तोंडी रामायण- अनुपम मिश्र
जनसत्ता 1 अगस्त, 2013: ये दो बिलकुल अलग-अलग बातें हैं- प्रकृति का कैलेंडर और हमारे घर-दफ्तरों की दीवारों पर टंगे कैलेंडर, कालनिर्णय या पंचांग। हमारे संवत्सर के पन्ने एक वर्ष में बारह बार पलट जाते हैं। पर प्रकृति का कैलेंडर कुछ हजार नहीं, लाख-करोड़ वर्ष में एकाध पन्ना पलटता है। इसलिए हिमालय, उत्तराखंड, गंगा, नर्मदा आदि की बातें करते समय हमें प्रकृति के भूगोल का यह कैलेंडर कभी भी भूलना नहीं...
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