झारखंड में माओवादी कमजोर हुए हैं मगर उनके इस सबसे बड़े गढ़ में माओवाद के नाम पर चलने वाले आपराधिक संगठनों की कोई कमी नहीं है. अनुपमा और निराला की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय 27 मार्च, 2013. झारखंड में चतरा जिले का लकड़मंदा गांव. बिहार सीमा के पास बसे इस इलाके का सन्नाटा आधी रात को अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से टूट गया. पास के जंगल में हो रही भयानक गोलीबारी...
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कितना कम जानते हैं हमारे सांसद
समाज के विभिन्न तबकों के लिए भोजन के अधिकार को लेकर काम कर रहे हम जैसे पंद्रह युवाओं का एक समूह पिछले हफ्ते कुछ सांसदों से मिला। इसकी वजह थी, संशोधित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर उनसे चर्चा करना और इसे बेहतर बनाने का प्रयास करना। हमने तकरीबन सौ से अधिक सांसदों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उनमें से महज 20 सांसदों से ही मुलाकात हो सकी। कई सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों...
More »क्या कागजी ही रहेगा बालश्रम कानून- किशोर
जनसत्ता 30 अप्रैल, 2013: मंत्रिमंडलीय समितिद्वारा बालश्रम (प्रतिबंधन एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 में संशोधन को मंजूरी दिए छह महीने से ज्यादा हो गए हैं, पर अभी तक यह संसद के दोनों सदनों में पास नहीं हो पाया है। इस संशोधन को राज्यसभा में पेश भी किया जा चुका है, पर मामला उससे आगे नहीं बड़ा है। इस अधिनियम में संशोधन के बाद चौदह वर्ष से कम आयु के बच्चों से...
More »चुनाव आयोग ने पेड न्यूज को ‘नैतिक कदाचार’ करार दिया
नयी दिल्ली। पेड न्यूज को ‘नैतिक कदाचार\' करार देते हुए चुनाव आयोग ने आज इस बात पर खेद व्यक्त किया कि इसे परिभाषित करने के लिए कोई कानून नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत ने यहां एक परिचर्चा कार्यशाला के दौरान कहा, ‘‘पेड न्यूज एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हम अपने जोखिम पर नजरंदाज कर सकते हैं। लेकिन इसे परिभाषित करने के लिए कोई कानून नहीं है।\'\' आयोग के अनुसार,...
More »सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?
भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...
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