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मूडीज ने सूखे की आशंका से जोड़ी भारत की रेटिंग

नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारती की रेटिंग को सूखे की आशंका से जोड़ दिया है। उसका कहना है कि भारत इस साल सूखे की चपेट से बच सकता है। लेकिन, भविष्य में सूखा पड़ने या बारिश में कमी की आशंका से देश के सॉवरेन क्रेडिट पर दबाव बन सकता है। मूडीज का मानना है कि भारत में मानसून की चिंता एक हद तक कम हो गई है, लेकिन...

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सामाजिक बराबरी का जरिया बने शिक्षा- अनिल प्रकाश जोशी

आज के सामाजिक सरोकार कितने भी दावे कर ले, पर यह पूरी तरह सच है कि आने वाले समय में हम भटके हुए समाज कहलाएंगे। स्वतंत्रता के 67 साल बाद भी हमने बहुत से मुद्धों को सिरे से नकार रखा है। उनमें एक बहुत बड़ा विषय हमारी शिक्षा प्रणाली का है। अपने देश में शिक्षा के कई स्तर हैं और उसी से पैदा पीढ़ी का व्यवहार व दायित्व उसी अनुसार...

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पीछे हटने को तैयार है मोदी सरकार? - परंजॉय गुहा ठाकुरता

यह तो खैर पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि संसद का मानसून सत्र न केवल हंगामाखेज रहेगा, बल्कि वह पूरी तरह से 'धुल" भी सकता है। अब जब ऐसा वस्तुत: होता नजर आ रहा है तो यह किसी के लिए भी अप्रत्याशित नहीं है। सवाल यही था कि क्या इसके बाद मोदी सरकार अपनी नीतियों में बुनियादी बदलाव लाने को मजबूर होगी। संसद में विधायी कार्य ठप...

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किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा

गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...

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गरीबी से अमीरी के सफर में कहीं खो जाती है सेहत

न्यूयॉर्क। गरीबी के परिवेश में पैदा होने वाले बच्चे बेशक अपनी मेहनत से सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाते हैं, लेकिन यह सफलता अक्सर उन्हें उनकी सेहत की कीमत पर मिलती है। एक नए शोध के अनुसार गरीबी में पैदा होने के बाद सफलता का मुंह देखने वाले युवाओं में बुढ़ापे के चिह्न भी जल्द दिखने लगते हैं। कई मामलों में तो ऐसे युवाओं का जीवन उनके समकालीनों की अपेक्षा काफी छोटा...

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