दुनियाभर में अनेक कारणों से पिछले वर्ष लगभग 6.56 करोड़ लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दुर्भाग्यवश यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2000 से 2016 के बीच दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग प्राकृतिक आपदाओं और मानव जनित त्रासदियों की चपेट में आये थे. विस्थापितों की जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने और वांछित आपदाओं से कारगर तरीके से निपटने के लिए स्थायी समाधान खोजने...
More »SEARCH RESULT
महसूस क्यों नहीं हो रहे अच्छे दिन-- आर सुकुमार
इस समय भारत के आर्थिक माहौल के बारे में दो प्रतिस्पद्र्धी कहानियां हैं। दोनों की प्रकृति भले ही एक-दूसरे से अलग हो, लेकिन हैं दोनों सही। जेपी मॉरगन के मुख्य अर्थशास्त्री साजिद जेड चिनॉय की इन्हीं पंक्तियों के साथ आज मैं अपनी बात शुरू करना चाहता हूं। चिनॉय का यह लेख 19 जुलाई को मिंट में प्रकाशित हुआ था। शीर्षक था- इंडियन इकोनॉमी : अ टेल ऑफ टू नैरेटिव्स। जिन पाठकों...
More »फंसे हुए कर्ज से निजात की नई कवायद-- सतीश सिंह
सरकार ने अध्यादेश के जरिए रिजर्व बैंक को फंसे हुए कर्ज की वसूली के लिए चूककर्ता कंपनियों के विरुद्ध दिवालिया प्रक्रिया शुरू करने का अधिकार दे दिया है। इस अध्यादेश का उद््देश्य है फंसे हुए कर्ज के मौजूदा गतिरोध को खत्म करना। इस कानून के पारित होने के बाद केंद्रीय बैंक चूककर्ता कंपनियों के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर सकता है। साथ ही, फंसे हुए कर्ज की समस्या को निपटाने...
More »गौमूत्र समेत गाय से जुड़े पदार्थों के फायदों पर रिसर्च के लिए मोदी सरकार ने बनाई कमेटी
सरकार ने गौमूत्र सहित गाय से जुड़े पदार्थों और उनके लाभ पर वैज्ञानिक रूप से विधिमान्य अनुसंधान करने के लिए 19 सदस्यीय समिति बनाई है जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के तीन सदस्यों को शामिल किया गया है। एक अंतरविभागीय सर्कुलर और समिति के सदस्यों ने यह जानकारी दी। सर्कुलर के अनुसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता वाली समिति ऐसी परियोजनाओं को चुनेगी...
More »नदी पुनर्जीवन ही विकल्प-- सुरेश उपाध्याय
माना जाता है कि सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारों पर ही हुआ है। लेकिन हम जिस दौर में जी रहे हैं और विकास की जिस अंधाधुंध दौड़ में शामिल हो गए हैं, उसने सबसे पहला हमला हमारी नदियों पर ही किया है। एक ओर नदियों को प्रदूषित किया जा रहा है तो दूसरी ओर कई नदियां विलुप्ति के कगार पर हैं या विलुप्त हो चुकी हैं। नदियों के शुद्धीकरण...
More »