विश्व भर में आज की सबसे बड़ी पर्यावरणीय चर्चा का अहम हिस्सा विकसित एवं विकासशील देशों की बढ़ती सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर पर केंद्रित है। बेहतर जीडीपी का सीधा संबंध उद्योगों की अप्रत्याशित वृद्धि के साथ ही बढ़ती ऊर्जा की खपत से है, जिसका पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ऐसे विकास का सीधा प्रभाव आदमी की जीवनशैली पर पड़ता है। कार, एसी व अन्य वस्तुएं ऊर्जा की...
More »SEARCH RESULT
उत्तर बिहार में बाढ़ का कहर शुरू
मुजफ्फरपुर । नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। बागमती, लखनदेई, गंडक व बूढ़ी गंडक आदि नदियां उफान पर हैं। बागमती में आई बाढ़ से सीतामढ़ी के एसएसबी कैंप में पानी घुस गया है। वहीं मुजफ्फरपुर के औराई प्रखंडके दर्जनों गांव बाढ़ के चपेट में आ गए हैं। सैकड़ों घरों में पानी घुसने से लोग विस्थापित...
More »तीस्ता नदी जल बंटवारे के करार को अंतिम रूप
नई दिल्ली। भारत और बांग्लादेश ने सोमवार को तीस्ता व फेनी नदियों के जल बंटवारे को लेकर होने वाले समझौते को अंतिम रूप दिया। लगभग पांच महीने के अंतराल के बाद इस मुद्दे पर हुई दोनों देशों की बैठक में 15 वर्षो के लिए जल बंटवारा समझौते का प्रारूप लगभग तय कर लिया गया। इस मुद्दे के हल के लिए दोनों देश पिछले 20 वर्षो से प्रयास कर रहे हैं। समझौते...
More »सूख गये सब ताल-तलैया, दगा दे रहा चापाकल
उजियारपुर। 'यहां तक आते-जाते सूख जाती है कई नदियां, हमें मालूम है कि पानी कहां ठहरा होगा।' कवि दुष्यन्त की यह पंक्ति प्रखंड में बढ़ रहे जलसंकट और गिरते जलस्तर पर मुरीद बैठता है। प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में सूख रहे चापाकल, तालाब व नदियों को देखकर भीषण पेयजल का संकट उत्पन्न शुरू हो गया है। चांदचौर शंकर चौक की हालात इतने बदतर हैं कि एक मात्र तारापंप से पांच...
More »सिमट सिमट जल भरहिं तलाबा- अनुपम मिश्र
आज हर बात की तरह पानी का राजनीति भी चल निकली है। पानी तरल है, इसलिए उसकी राजनीति भी जरूरत से ज्यादा बहने लगी है। देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जिसे प्रकृति उसके लायक पानी न देती हो, लेकिन आज दो घरों, दो गांवों, दो शहरों, दो राज्यों और दो देशों के बीच भी पानी को लेकर एक न एक लड़ाई हर जगह मिलेगी। मौसम विशेषज्ञ बताते हैं कि...
More »