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सामाजिक बराबरी का जरिया बने शिक्षा- अनिल प्रकाश जोशी

आज के सामाजिक सरोकार कितने भी दावे कर ले, पर यह पूरी तरह सच है कि आने वाले समय में हम भटके हुए समाज कहलाएंगे। स्वतंत्रता के 67 साल बाद भी हमने बहुत से मुद्धों को सिरे से नकार रखा है। उनमें एक बहुत बड़ा विषय हमारी शिक्षा प्रणाली का है। अपने देश में शिक्षा के कई स्तर हैं और उसी से पैदा पीढ़ी का व्यवहार व दायित्व उसी अनुसार...

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किराये की कोख बढ़ता कारोबार घपले हजार

पिछले कुछ समय में सरोगेसी का कारोबार तेजी से फैला है। दुनिया भर से जोड़े भारत में कुकुरमुत्ते की तरह उगते आईवीएफ क्लिनिक्स में आते हैं, जहां किराये की कोख उपलब्ध होती हैं और वे उन्हीं के जरिये अपने बच्चों को जन्म देते हैं। पर इस कारोबार के लिए न तो कोई कानून है और न ही कोई निगरानी तंत्र, जिसकी वजह से इसमें शोषण भी बहुत होता है। पेश...

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क्यों झूठे हैं मृत्युदंड को समाप्त करने के लिए दिए जा रहे चारों तर्क-- कल्पेश याग्निक

‘जो कुछ भी गोपनीय रखा जाता है, पूरी तरह बताया और समझाया नहीं जाता, अनेक प्रश्न अनुत्तरित रखकर किया जाता है; वह बाद में सड़ने लगता है। चाहे इस तरह किया गया न्याय ही क्यों न हो। - पुरानी कहावत मृत्युदंड दिया जाना चाहिए कि नहीं? प्रभावी और मेधावी लब्धप्रतिष्ठितों की स्पष्ट राय है - नहीं? उनके चार तर्क हैं : 1. क्योंकि यह तो ‘आंख के बदले अांख' का विकृत कानून हो...

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गरीबी से अमीरी के सफर में कहीं खो जाती है सेहत

न्यूयॉर्क। गरीबी के परिवेश में पैदा होने वाले बच्चे बेशक अपनी मेहनत से सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाते हैं, लेकिन यह सफलता अक्सर उन्हें उनकी सेहत की कीमत पर मिलती है। एक नए शोध के अनुसार गरीबी में पैदा होने के बाद सफलता का मुंह देखने वाले युवाओं में बुढ़ापे के चिह्न भी जल्द दिखने लगते हैं। कई मामलों में तो ऐसे युवाओं का जीवन उनके समकालीनों की अपेक्षा काफी छोटा...

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गरीबी उन्मूलन पर विश्व बैंक का ढोंग

विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम ने कहा है कि वर्ष 2030 तक विश्व से अतिगरीबी समाप्त हो जायेगी. ध्यान दें, शब्द ‘अतिगरीबी' है न कि गरीबी. गरीबी बढ़े और अतिगरीबी घटे ये साथ-साथ चल सकते हैं. जैसे एक भूखे बच्चे को एक रोटी दे दी जाये और गांव के सौ बच्चों को मिली दो रोटी में से एक छीन ली जाये, तो भूखे बच्चे की अतिगरीबी समाप्त हो...

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