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संविधान के साथ खिलवाड़-- जगदीप छोकर

हाल ही में पास हुए 2018 के फाइनेंस बिल में एक महत्वपूर्ण हिस्सा एफसीआरए (फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगूलेशन एक्ट 1976) के संशोधन का है. इसकी शुरुआत 2013 से शुरू होती है, जब यूपीए सरकार ने इलेक्टोरलर ट्रस्ट की एक नयी स्कीम लागू की थी, जिसमें सरकार ने कहा था कि चंदा देनेवाली कंपनियों और राजनीतिक दलों के बीच एक ऐसी दीवार खड़ी कर दी जायेगी, ताकि उनका आपस में कोई गठजोड़...

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2016 में लंबित थे बच्चों के यौन उत्पीड़न के एक लाख से ज्यादा मामले

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी गई है कि 2016 में देशभर में बच्चों के यौन उत्पीड़न के एक लाख से ज्यादा मामले दर्ज थे, लेकिन निचली अदालतों में सिर्फ 229 मामलों का निपटारा किया गया। इन आंकड़ों को हाल ही में प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष पेश किया गया। पीठ ने देशभर के हाई कोर्टों के रजिस्ट्रार...

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जनसंख्या नीति को नई राह जाना होगा-- नवीन चंद्र लोहनी

सर्वोच्च न्यायालय में एक दंपति के अधिकतम दो संतान पैदा करने से जुड़ी जनहित याचिका हो या फिर देश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर निकल रही रैलियां, इन सबका एक मतलब तो यह निकलता ही है कि जनसंख्या नीति पर तुरंत कठोर निर्णय लेने का समय आ गया है। भारत में युवा शक्ति, युवा मस्तिष्क और युवा देश होने की बात जब नारों और जयकारों के बीच आती है, तो...

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ज्ञान बांटने वालों के साथ ऐसी बेदिली-- बृंदा करात

हेमलता ने इसी जनवरी में अपने पति खेमचंद को दुखद परिस्थितियों में खो दिया। वह चांदनी चौक के एक प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के अधीन आने वाले इस स्कूल में वह 1997 से पढ़ा रहे थे। जो आखिरी सैलरी उनके हाथों में आई थी, वह 58,000 रुपये थी। खेमचंद पर अपनी विधवा मां, पत्नी हेमलता, पांच बच्चे और एक बहन का भार था। वह मूल...

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एक सदी पुराने विवाद का निपटारा-- एम श्रीनिवासन

कावेरी जल बंटवारे को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु में 125 से भी अधिक वर्षों से विवाद चला आ रहा है। पिछले हफ्ते आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ अब यह झगड़ा खत्म होने के करीब दिख रहा है। लेकिन क्या यह हल स्थाई होगा? क्या यह फैसला देश के अन्य नदी जल विवादों में भी नजीर बनेगा? सुप्रीम कोर्ट का फैसला आंशिक रूप से ही इन सवालों के जवाब...

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