-द वायर, गठजोड़ की कहानी दो हिस्सों में है. पहला हिस्सा काफी पहले लिखा जा चुका था जब अंडमान में कई सालों की कैद के बाद विनायक दामोदर सावरकर को रिहा कर दिया गया. कैद के पहले वे क्रांतिकारी हुआ करते थे. रिहाई के बाद वे ब्रिटिश हुकूमत के सहयोगी बन गए जैसा कि उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से रहम की भीख मांगती हुई अपनी कई सारी अर्जियों में वादा किया था जो उन्होंने जेल से लिखी थी. जेल से...
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किसान आंदोलन: लंबी लड़ाई की तैयारी
-आउटलुक, “महीने भर से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसान सरकार की पेशकश से असंतोष जाहिर करके लंबी लड़ाई की तैयारी में, आखिर इसका हल है क्या? क्या सरकार सिर्फ टालते रहने के मूड में” हाड़ कपा देने वाली ठंड (3-4 डिग्री सेल्सियस तापमान) में खुले आसमान के नीचे हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर 26 नवंबर से सड़कों पर बैठे हुए हैं। मांग बस इतनी है कि सुधार के नाम पर...
More »मोदी का उदय चंद कारपोरेट घरानों का विकास है : आरएलडी उपाध्यक्ष जयंत सिंह चौधरी
-कारवां, जयंत सिंह चौधरी राष्ट्रीय लोक दल के उपाध्यक्ष हैं. इस पार्टी का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आधार है. आरएलडी का गठन 1996 में जयंत के पिता अजित ने जनता दल से अलग हो कर किया था. इसकी पूर्ववर्ती पार्टी लोक दल थी, जिसकी स्थापना 1980 में जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने की थी. चरण सिंह भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और प्रसिद्ध किसान नेता रहे. अपनी स्थापना के बाद...
More »कार्यकारी (और) संपादक
-द कारवां, जैसे ही यह स्पष्ट हो गया कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता से बाहर हो गए हैं और जो बाइडन अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे, अनंत गोयनका ने एक ट्वीट किया : मैं आशा करता हूं कि बाइडन की जीत के बाद अमेरिकी समाचार मीडिया अपने पक्षपातपूर्ण तरीके के बारे में आत्मावलोकन करेगा. वह केवल अपने प्रति वफादारों और ईको-कक्ष समुदाय के पाठकों के बजाय अवश्य ही सकल आबादी के विचारों का...
More »राम के नाम पर देश में फिर नब्बे के दशक जैसा माहौल बनाने की कोशिश!
-न्यूजक्लिक, सदियों से करोडों लोगों के लिए श्रद्धा और विश्वास के प्रतीक रहे मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर एक बार फिर देश को सांप्रदायिक तौर पर गरमाने और नफरत फैलाने का अभियान शुरू हो गया है। विश्व हिन्दू परिषद ने पूरे देश में 1990 के दशक जैसा जहरीला और तनावभरा माहौल बनाने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में हो चुकी है, जहां कुछ कस्बों...
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