डाउन टू अर्थ, 16 जनवरी जोशीमठ में जो आज हो रहा है उसकी पठकथा तो कई सालों से लिखी जा रही थी, ये प्राकृतिक संसाधनों की लूट का खुला प्ररिणाम है। ये नाजुक परिस्थितिकीतंत्र के ऊपर आर्थिक तंत्र को तबज्जो देने का परिणाम है। हम सब जानते हैं कि हिमालय बहुत नाजुक पर्वतश्रृंखला है और इसका परिस्थितिकीतंत्र अतिसंवेदनशील है। हिमालय सम्पूर्ण दक्षिण एशिया के पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था पर सीधा असर...
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ओडिशा की नई अक्षय ऊर्जा नीति और 10 गीगावाट का लक्ष्य
मोंगाबे हिंदी, 16 जनवरी ओडिशा को भले ही अक्षय ऊर्जा की उच्च क्षमता वाला राज्य नहीं माना जाता हो, लेकिन राज्य सरकार अपनी नई ऊर्जा नीति के साथ इसी तरफ बढ़ती नज़र आ रही है। अपनी नई अक्षय ऊर्जा नीति – राज्य अक्षय ऊर्जा नीति 2022 – के जरिए सरकार स्पष्ट तौर पर राज्य के भीतर स्वच्छ ऊर्जा विकास को प्रोत्साहित करने और उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है। राज्य...
More »मौसम अपडेट: कड़ाके की ठंड के बीच उत्तराखंड सहित इन राज्यों में भारी बारिश-बर्फबारी का अलर्ट
डाउन टू अर्थ, 12 जनवरी मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ मध्य स्तरों के पछुआ हवाओं में सक्रिय है। इसके कारण उत्तर पश्चिमी राजस्थान तथा इससे सटे इलाकों के निचले स्तरों पर चक्रवाती प्रसार बन गया है। मौसम संबंधी उपरोक्त बदलाव के चलते मौसम विभाग ने 12 और 13 जनवरी के दौरान जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश में हल्की से भारी बारिश तथा बर्फबारी होने की आशंका जताई है। वहीं उत्तराखंड...
More »जैविक उत्पादों, बीजों, निर्यातों के लिए 3 बहु-राज्य सहकारिताएं शीघ्र ही
जनता से रिश्ता, 12 जनवरी केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को जैविक उत्पादों, बीजों और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर की तीन नई बहु-राज्य सहकारी समितियों की स्थापना करने का निर्णय लिया। बहुराज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अन्तर्गत राष्ट्रीय स्तर की सहकारी जैविक समिति, सहकारी बीज समिति एवं सहकारी निर्यात समिति का पंजीकरण किया जायेगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा, "सहकारिता क्षेत्र एक मजबूत अर्थव्यवस्था...
More »ओडिशा के पहाड़ी इलाकों में स्ट्राबेरी उगा रहे हैं आदिवासी किसान
गाँव कनेक्शन, 9 जनवरी एक साल पहले 2021 में इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी(ITDA),ने कोरापुट जिले के चार गाँवों की 30 आदिवासी महिलाओं को पहली बार जिले के डोलियांबा गाँव में पांच एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती करने में मदद की थी। ये महिलाएं तीन स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी)-माँ सुभद्रा, माँ तारिणी और माँ बरुआ- से जुड़ी हुईं थीं। आज ये आदिवासी महिलाएं सफल स्ट्रॉबेरी किसान हैं। इंटीग्रेटेड ट्राइबल डेवलपमेंट एजेंसी,...
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