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प्रेमचंद 140 : जीवन के प्रति दहकती आस्था

-सत्यहिंदी, प्रेमचंद को लेकर साहित्यवालों में कई बार दुविधा देखी जाती है। उनका साहित्य प्रासंगिक तो है लेकिन क्यों? क्या ‘गोदान’ इसलिए प्रासंगिक है कि भारत में अब तक किसान आत्महत्या कर रहे हैं? या दलितों पर अत्याचार अभी भी जारी है, इसलिए ‘सद्गति’ और ‘ठाकुर का कुआँ’ प्रासंगिक है? क्या ‘रंगभूमि’ इसलिए पढ़ने योग्य बनी हुई है कि किसानों की ज़मीन कारखाने बनाने के लिए या ‘विकास’ के लिए अभी...

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गुरुग्राम : 'घर में ही रहें' की नसीहत के बीच सरकारी क्रूरता, 600 परिवार किये बेघर

-न्यूजक्लिक,  "कहाँ तो तय था चराग़ाँ हरेक घर के लिये, कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये" दुष्यंत कुमार का यह शेर आज की स्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठता है। सरकार का लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ा वादा था कि जहाँ झुग्गी वहीं मकान, लेकिन इसके विपरीत वर्तमान महामारी के समय में दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में अवैध अतिक्रमण के नाम पर लोगों को बेघर किया जा रहा है। बेघर करके उन्हें सड़कों...

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हिंदुओं की नाराजगी संबंधी पत्र पर हाईकोर्ट ने लगाई दिल्ली पुलिस को फटकार

-न्यूजलॉन्ड्री, शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस के विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) प्रवीर रंजन द्वारा दंगे से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी को लेकर दिए एक आदेश पर दायर याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैट ने इस आदेश को शरारतपूर्ण बताया. आठ जुलाई को दिल्ली पुलिस के विशेष सीपी प्रवीर रंजन ने दिल्ली में फरवरी महीने में हुए दंगों की जांच कर रहे अधिकारियों को एक आदेश...

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हिंदी पट्टी का रक्त-चरित्र; पिछले चार दशकों में ऐसे पनपी बाहुबली संस्कृति

-आउटलुक, “हिंदी प्रदेशों और खासकर सियासी तौर पर सबसे अहम उत्तर प्रदेश के सामाजिक-राजनैतिक तानेबाने में पिरोयी गैंगस्टर और बाहुबली संस्कृति पिछले चार दशकों में राजनीति के तौर-तरीकों का नतीजा” यकीनन अपने रंग-ढंग और सामाजिक परिस्थितियों में पुराने दौर के बागी डकैतों और आज के गैंगस्टर या डॉन वगैरह का चाल, चरित्र सब कुछ एकदम अलग है। लेकिन दोनों की जुबान पर आज भी वही गर्व से फबता है, जो सबसे लोकप्रिय...

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11 राज्यों में रजिस्ट्रेशन कराए 11.5 लाख से अधिक किसानों से दाल-तिलहन की ख़रीदी नहीं हुई

-द वायर,  कोविड-19 महामारी के दौरान जहां संकट से उबरने में मदद करने के लिए सरकारी खरीद की महत्ता पर जोर दिया जा रहा था, वहीं देश के 11 राज्यों में दालें एवं तिलहन की खरीदी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले 11.50 लाख से ज्यादा किसानों से खरीदी नहीं की गई है. केंद्र सरकार ने इस बार रबी-2020 सीजन में 20 राज्यों से दालें एवं तिलहन खरीदने की योजना बनाई थी, लेकिन...

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