नई दिल्ली। एक मई देश की उत्साहजनक विकास दर और शहरीकरण के बीच लाखों बच्चे अपने बचपन को भूल दयनीय स्थिति में मजदूरी करने को विवश हो रहे है। कई गैर सरकारी संगठन इस काम में जुटे हुए है कि बाल मजदूरी से देश व समाज को जल्द से जल्द मुक्त किया जा सकें। तमाम सरकारी नीतियों और गैर सरकारी प्रयासों के बावजूद बाल मजदूरों की संख्या में इजाफा होता...
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मिन्नत गई बेकार, नहीं घूमने दी दलित की बारात
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में कुछ दबंगों ने दलित परिवार की बारात गांव में नहीं घूमने दी। मामला सहसवान थाना क्षेत्र के गांव सुल्तानपुर का है। दुल्हन की विधवा मां ने बारात निकालने का विरोध कर रहे लोगों की मिन्नत की लेकिन वे अपनी बात पर अड़े रहे। इसी बात पर दोनों पक्षों में नोकझोंक भी हुई। तनाव की सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का अमला गांव पहुंचा और...
More »छोटे बच्चे पढ़ रहे कड़ी धूप में
कुमारखंड, मधेपुरा, निप्र : बडे़ बच्चों को सरकार ने भले ही पढ़ाई करने के लिए सुबह का समय निर्धारित कर दिया हो लेकिन छोटे बच्चों को कड़ी धूप में पढ़ने के लिए बुलाना उन्हें सजा देने के समान अभिभावकों को लग रहा है। मामला आंगनबाड़ी केंद्रों पर पढ़ने वाले तीन से वर्ष के बच्चों का है। जिन्हें केंद्रों पर पढ़ने के लिए पूर्वाह्न नौ बजे जाना पड़ता है। इस दौरान बच्चा...
More »किशोर आबादी के कुछ अनजाने तथ्य - यूनिसेफ की नई रिपोर्ट
दुनिया में किशोर उम्र के लोगों की तादाद 1 अरब 20 लाख है लेकिन आबादी के इतने बड़े हिस्से के रोजमर्रा की जिन्दगी के बारे में- उसके आस-निरास, आशा-आकांक्षा और उसके सामने खड़ी बाधाओं के बारे में हमारी जानकारी कितनी है ? यूनिसेफ की नई रिपोर्ट प्रोग्रेस फॉर चिल्ड्रेन- अ रिपोर्टकार्ड ऑन एडोलेसेंट का निष्कर्ष है- “ बहुत कम ।” मिसाल के लिए भारत के बारे में ही सोचें। विज्ञापनों की...
More »एक बालिका वधू की दास्तान- जाहिद खान
हमारे देश में हर साल अक्षय तृतीया यानी तीज के दिन हजारों नाबालिग लड़कियां शादी के मंडप में पहुंचा दी जाती हैं। इन लड़कियों के मां-बाप उनकी मर्जी को जाने बिना उन्हें जबरन शादी के बंधन में बांध देते हैं। कई मामलों में इसकी सजा ये लड़कियां पूरी उम्र भुगतने को बाध्य होती हैं। बाल विवाह न केवल उनकी जिंदगी के लिए अभिशाप बन जाता है, बल्कि हमारे समाज के...
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