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2019 में मारे गए रिकॉर्ड 212 पर्यावरण योद्धा, भारत में गई 6 की जान

-डाउन टू अर्थ, पिछले साल पर्यावरण, जंगलों और अपनी जमीन को बचाने में 212 लोगों की जान गई थी| भारत की बात करें तो पिछले साल यहां 6 पर्यावरण कार्यकर्ताओं को मार दिया गया था। यह जानकारी आज ग्लोबल विटनेस नामक संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट में सामने आई है।  रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण अमेरिका महाद्वीप में सबसे ज्यादा हत्याओं के मामले सामने आए हैं जहां लगभग दो-तिहाई से अधिक हत्याएं हुईं हैं।...

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कोरोना वायरस वैक्सीनः कहाँ तक पहुँची है ज़िंदगी बचाने की जंग

-बीबीसी, क्या आपको मालूम है कि दुनिया में इससे पहले सबसे तेज़ वैक्सीन किस बीमारी के लिए खोजी गई थी. टाइम मैगज़ीन के मुताबिक़ वो बीमारी मम्प्स थी, जिसकी वैक्सीन तैयार करने में वैज्ञानिकों को चार साल का वक़्त लगा था. लेकिन कोरोना महामारी जिस तेज़ी से फैल रही है और जिस रफ़्तार से लोगों की जान ले रही है, उसे देखते हुए इसकी वैक्सीन विकसित करने का काम ऐतिहासिक रूप से...

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आंकड़े बताते हैं, लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए आयुष्मान भारत योजना ‘वरदान’ साबित नहींं हुई

-द प्रिंट, प्रधानमंत्री की जन आरोग्य योजना (पीएम-जय), प्रधानमंत्री मोदी की स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत के अंतर्गत आनेवाली की तीसरी फ्लैगशिप योजना है. जिसे यह बताया जा रहा है कि यह कोविड-19 के लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए वरदान साबित हुई है. हालांकि, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, इस योजना का प्रबंधन करने वाली एजेंसी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस योजना का प्रवासी मजदूर समूह को सरकार के...

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आज भी जिंदा है Mother India के सुक्खी लाला, किसान ने बेटे के इलाज के लिए लिया कर्जा, हड़प ली पूरी जमीन

-गांव कनेक्शन, " हमारा जवान लड़का अस्पताल में भर्ती था। जेवर बेचकर और उधार लेकर डेढ़ लाख रुपए लगा चुके थे। इलाज के लिए और पैसे की ज़रुरत थी तो एक एकड़ खेत 26 हजार में गिरवी रख दिया। लेकिन बनिया (साहूकार) ने बेईमानी की और हमारी पूरी धरती (4 एकड़ ज़मीन) हड़प ली। बेटा और ज़मीन दोनों चले गए," कहते-कहते बुजुर्ग मथुराबाई पल्लू में मुंह छिपाकर फफक फफक कर रोने...

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“सरकार को डब्ल्यूएचओ की चिंता है, जबकि उसकी वजह से हमारे घर गिरे”

-न्यूजलॉन्ड्री, “झुग्गी-झोपड़ी वालों को इंसान ही ना समझ रहे, बताओ हम कहां जांएगे...अब कहां है मोदी और केजरीवाल, जो झुग्गीवालों को पक्के मकान देने के वादे कर रहे थे. ये सब डब्ल्यूएचओ का करा-धरा है, और कोई भी इसके खिलाफ बोल ना रहा. हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. जब तक हमारी तरफ काम नहीं शुरू होगा इनका काम भी हम नहीं होने देंगे.” ये आरोप बुधवार को आईटीओ के पास अन्ना नगर...

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