प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पक्का भरोसा है कि नरेगा के आगे इस साल का सूखा पानी भरता नजर आएगा लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने वाले बहुत से कार्यकर्ता नरेगा की कामयाबी को लेकर अब आशंकित हो उठे हैं, खासकर नरेगा के प्रावधानों में हालिया फेरबदल के बाद। इधर सूखे ने कुल २४६ जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है उधर बहस इस बात पर सरगर्म हो रही है...
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भूख का बढ़ता भूगोल
भारत में जब से आर्थिक उदारीकरण आया है, एक अद्भुत विरोधाभास उदारवादियों में देखने को मिला है। जहां भारत में कई जगह अभ्युदय हो रहा है। वहीं हालात 20 साल से ज्यादा खराब होते गए हैं। खासकर लोगों की खुराक कम हुई है। सिर्फ जिंदा रहने के लिए लोग इस देश में भोजन ग्रहण कर रहे हैं और इसका मूल कारण जनसंख्या का बढ़ना नहीं है, जैसा कि अनुमान लगाया...
More »दुष्काल, अकाल, सूखा सबके जिम्मेवार हम ही
आने वाले 15 वर्षों में भारत के खाद्यान्न का कटोरा अर्थात पंजाब और हरियाणा सूखाग्रस्त हो जाएंगे। वहां की धरती में सिंचाई के लिए पानी नहीं रह जाएगा। केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड की 2007 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 में सिंचाई के लिए भूमिगत जल उपलब्धता ऋणात्मक हो जाएगी। उदाहरण के लिए पंजाब में जितना जल जमीन में समाता है उससे 45 प्रतिशत अधिक जल खींच लिया जाता...
More »भोजन का अधिकार विधेयक-छूट ना जाये पत्तल में छेद
भोजन के अधिकार बिल पर चर्चा चल निकली है और अपनी निष्ठा जताते हुए सरकार ने उसको अमली जामा पहनाने की कवायद शुरु कर दी है। ऐसे में नागरिक-संगठनों के कार्यकर्ता और गंवई समस्याओं के गहरे जानकार विशेषज्ञों को यह आशंका सता रही है कि पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लक्ष्य से जुड़ा यह महत्वाकांक्षी बिल अपने मूल मंतव्य से चूककर कहीं सूरदास को सूंघाने के लिए कढ़ाही में...
More »भुखमरी-एक आकलन
खास बात - साल 1990 में भारत का जीएचआई अंक 32.6 था, साल 1995 में यह अंक 27.1, साल 2000 में 24.8, साल 2005 में 24.0 तथा साल 2013 में 21.3 था। साल 2013 में भारत का जीएचआई अंक(21.3) चीन (5.5), श्रीलंका (15.6), नेपाल (17.3), पाकिस्तान (19.3) और बांग्लादेश (19.4) से बदतर है।@ -साल १९८३ में देश के ग्रामीण अंचलों में प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत कैलोरी उपभोग २३०९ किलो कैलोरी का था जो साल १९९८ में घटकर २०१०...
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