लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। शहर के अंग्रेजी स्कूल का पढ़ा बच्चा और गांव के साधनहीन विद्यालयों के पढ़े बच्चे यदि एक ही साथ परीक्षा में बैठें तो पास होने की अधिक सम्भावना किसकी है?..और अगर परीक्षा में 75 प्रतिशत सीटें ग्रामीण पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए हों लेकिन इस पर भी शहरी बच्चे जालसाजी से बैठें तो?. साफ है कि गांव का हक मारा जाएगा। ग्रामीण बच्चों के लिए खुले नवोदय...
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दो शिष्य गुरु चार, सरकारी महिमा अपरंपार
पौड़ी गढ़वाल [विनोद पोखरियाल]। एक स्कूल, चार शिक्षक, दो छात्र और खर्च साढ़े दस लाख रुपये सालाना। ये है उत्तराखंड केएक स्कूल की तस्वीर। यह कोई पब्लिक स्कूल नहीं, पौड़ी जिले के कोट ब्लाक स्थित एक गाव का सरकारी जूनियर हाईस्कूल है। यहा सरकार चार शिक्षकों के वेतन पर प्रतिमाह 88 हजार रुपये खर्च कर रही है। यह स्थिति एक-दो नहीं पूरे चार साल से है। यदि इन दोनों बच्चों को...
More »सरकार पर सलवा जुडूम की जानकारी छुपाने का आरोप
नयी दिल्ली/रायपुर। उच्चतम न्यायालय ने माओवादी हिंसा की समस्या से निपटने के वास्ते अपनी ओर से उठाए गए कदमों के बारे में 'अस्पष्ट' सूचनाएं देने के लिए आज छत्तीसगढ़ सरकार को फटकार लगाते हुए उस पर नक्सल-विरोधी सतर्कता समूह सलवा जुडूम के बारे में जानकारी छुपाने का आरोप लगाया। न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी तथा न्यायमूर्ति एस. एस. निज्जर की सदस्यता वाली पीठ ने कहा ''राज्य सरकार द्वारा दाखिल...
More »मणिपुर के बच्चे कहाँ जाएं
मणिपुर में उग्रवाद और उग्रवाद के विरोध में जारी हिसंक गतिविधियों के चलते बीते कई दशकों से बच्चे हिंसा की कीमत चुके रहे हैं. यह सीधे तौर से गोलियों और अप्रत्यक्ष तौर से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण की तरफ धकेले जा रहे हैं. राज्य में स्थितियां तनावपूर्ण होते हुए भी कई बार नियंत्रण में तो बन जाती हैं, मगर स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी ढ़ांचे कुछ इस तरह से चरमराए हैं...
More »अनाथ स्कूल को दी शिक्षा की छांव
बरेली [राजीव शर्मा]। न कोई टीचर और न ही शिक्षा मित्र। फिर ंभी सीबीगंज इलाके का एक पूर्व माध्यमिक विद्यालय गुलजार है। रोजना ही स्कूल खुलता है। बच्चे पढ़ते हैं और खुशी-खुशी घर लौट जाते हैं। इस काम को कोई सामाजिक संगठन या सरकार अतिरिक्त टीचर लगाकर नहीं करा रही। जब कि गांव की ही एक पढ़ी-लिखी लड़की ने इस 'अनाथ' स्कूल को अपनी 'शिक्षा' की छांव दी है।...
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