[inside]'एनएफएसए के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक' का पहला संस्करण[/inside] जारी. सामान्य श्रेणी में ओड़िशा ने व विशेष राज्यों की श्रेणी में त्रिपुरा ने किया टॉप. 5 जुलाई, को दिल्ली में आयोजित खाद्य मंत्रियों के सम्मलेन में देश के खाद्य मंत्री श्री पियूष गोयल ने इस रिपोर्ट ('एनएफएसए के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक') को किया जारी.(अंग्रेजी में यहाँ से पढ़िए) NFSA के लिए राज्य रैंकिंग सूचकांक असल में NFSA को लागु करने के लिए...
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छह एकड़ में करोड़ की उपज
कायदे से उन्हें ग्यारहवीं तक की भी शिक्षा हासिल नहीं हुई है लेकिन उनके काम आज कृषि विज्ञानियों के लिए हैरत का विषय बने हुए हैं। जिस दौर में किसान हताशा में आत्महत्या कर रहे हैं उसी दौर में उन्होंने अपने संकल्प और प्रयोगधर्मी सोच के बूते करोड़पति किसान का तमगा हासिल किया है और साथी किसानों को सम्मान के साथ आजीविका कमाने के राह दिखाई है।उत्तरप्रदेश के जिला बाराबंकी...
More »पंजाब के किसानों के लिए रासायनिक खेती छोड़ना क्यों कठिन है?
इंडियास्पेंड, 03 अप्रैल पंजाब के पश्चिमी फिरोजपुर जिले के सोहनगढ़ रट्टेवाला गांव के 63 वर्षीय अशोक कुमार ने 2012 में अपने तीन एकड़ खेत में जैविक खेती शुरू की थी। उन्होंने ऐसा अच्छे स्वास्थ्य और स्वच्छ पर्यावरण के लिए किया था। वह अपने परिवार के लिए भोजन तो उगाते ही थे, साथ ही में जैविक उत्पाद चाहने वाले लोगों के लिए बिक्री भी करते थे। 2016 तक उन्होंने अपने पूरे 16...
More »किसान आंदोलन में भूमि सुधार का मुद्दा अहमः पावेल कुस्सा, द जर्नी ऑफ फार्मर्स रिबेलियन के विमोचन पर
वर्कर्स यूनिटी, 25 सितम्बर भारत में किसान आंदोलन के दो इतिहास हैं। एक भूमि सुधार जोकि 1947 से ही मौजूद है। और दूसरा ग्रीन रिवोल्यूशन के बाद पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी यूपी की बेल्ट में खेत मालिक किसानों के आंदोलन, जोकि फसलों के उचित दाम को लेकर हैं। मौजूदा किसान आंदोलन में भी एमएसपी का मुद्दा प्रमुख है। इन दोनों किस्म के आंदोलनों में ये ताज़ा आंदोलन इस मायने में अलग है कि...
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