दुनियाभर में अनेक कारणों से पिछले वर्ष लगभग 6.56 करोड़ लोगों को जबरन अपने घरों से विस्थापित होना पड़ा. दुर्भाग्यवश यह संख्या लगातार बढ़ रही है. वर्ष 2000 से 2016 के बीच दुनियाभर में करीब 3.5 अरब लोग प्राकृतिक आपदाओं और मानव जनित त्रासदियों की चपेट में आये थे. विस्थापितों की जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने और वांछित आपदाओं से कारगर तरीके से निपटने के लिए स्थायी समाधान खोजने...
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अजीब फरमान, मुआवजा चाहिए तो बतौर सबूत लाओ जानवरों के कंकाल
अहमदाबाद। मुआवजे की राशि लेने के लिए किसी जरूरतमंद को क्या-क्या नहीं करना पड़ता। इसकी बानगी गुजरात के बनासकांठा में देखने को मिली है। जहां अफसरों ने ऐसा फरमान जारी किया है कि मुआवजा लेने वाले पशुपालक जानवरों के कंकाल लाने में जुट गए हैं। चाहिए मुआवजा तो लाओ पशुओं के कंकाल - एक महीने पहले बनासकांठा में आई भीषण बाढ़ की वजह से जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ था। खासतौर पर...
More »धर्म, राजनीति और हिंसा-- रविभूषण
अस्सी के दशक के मध्य से 'धर्मगुरुओं' की संख्या जिस प्रकार बढ़ी है, उसने एक साथ कई प्रकार की चुनौतियां और समस्याएं खड़ी कर दी हैं. ये समस्याएं वस्तुत: कानून-व्यवस्था और प्रशासन से संबंधित हैं. 29 अप्रैल, 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना एक सामाजिक संगठन के रूप में की गयी थी. सामाजिक संगठन हों या सांस्कृतिक संगठन, बाद में चलकर इन सबके कार्य-व्यापार और तौर-तरीके भिन्न हो गये. बलूचिस्तान...
More »अनुच्छेद 35 ए का दंश -- भीम सिंह
अनुच्छेद-35 ए जम्मू-कश्मीर में भारतीय नागरिकों पर एक दोमुंही तलवार है जिसे आज तक देश के बुद्धिजीवियों और राजनीतिकों के संज्ञान में नहीं लाया गया। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के खिलाफ एक साजिश थी, जिसकी शुरुआत हुई 14 मई 1954 को, जब भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक अध्यादेश जारी करके अनुच्छेद-35 के साथ ‘ए' जोड़ दिया। भारतीय संविधान के अध्याय-3 में भारतीय नागरिकों को जो मानवाधिकार दिए...
More »बिहारः बाढ़ से पहले गांव था सहरसा में, अब सुपौल में
वर्ष 2008 के बाद इस साल फिर कोसी नदी की बाढ़ ने भारी तबाही मचायी. उत्तर बिहार के सुपौल जिले में लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. इनमें सबसे मुश्किल जिंदगी है कोसी तटबंधों के बीच बसर करने वाले उन लोगों की, जिन्हें बाढ़ के समय ऊँची जगहों पर शरण लेनी पड़ती है और हर दूसरे-तीसरे साल नयी जगह बसना पड़ता है. ये लोग पानी उतरने का इंतजार करते हैं और...
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