हाल ही में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने से भारतीय समाज में पसरी बाल श्रम की बुराई दुनिया भर में उजागर हुई है। बारह साल पहले जब मैं भारत से अमेरिका आया था, तो यहां बाल श्रमिकों की अनुपस्थिति ने मेरा ध्यान बरबस आकर्षित किया था। भारत में हम ढाबों, रेस्तरां, बाजारों व होटलों में अक्सर बच्चों को काम करते देखते हैं। ये दृश्य हम में से...
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चीनी की कम होती मिठास - के सी त्यागी
जनसत्ता 14 अक्तूबर, 2014: महाराष्ट्र की चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आत्महत्याओं का जिक्र करते हुए उनकी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया है। उन्होंने अपनी चुनावी रैलियों में स्वीकार किया कि प्रतिवर्ष लगभग सैंतीस सौ किसान आत्महत्या कर रहे हैं, मगर दूसरी तरफ उन्होंने राज्य सरकारों द्वारा दिया जाने वाला (समर्थन मूल्य के अतिरिक्त) बोनस रोकने का फैसला किया है। केंद्रीय खाद्यमंत्री रामविलास पासवान ने...
More »आखिर किस कीमत पर विकास? - एमएम बुच
प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत में तीव्र आर्थिक विकास और औद्योगीकरण आवश्यक है, किंतु उत्पादन की गुणवत्ता इतनी ऊंची होनी चाहिए कि विश्व भर में उसकी ख्याति हो। साथ ही विकास एवं औद्योगीकरण पर्यावरण के अनुकूल हो। इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए कि विकास के कारण पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यूपीए सरकार से यह शिकायत रहा करती थी कि भू-अर्जन नीति...
More »धमतरी के बासमती की खुशबू से महकेगा अब पूरा छत्तीसगढ़
राममिलन साहू, धमतरी। बासमती की खेती अब तक सिर्फ पंजाब व हरियाणा प्रदेश की माटी में खुशबू बिखरेती आ रही है। अब छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कुरूद ब्लाक में पहली बार 30 एकड़ खेतों में बासमती पुसा सुगंध प्रजाति की फसलें लहलहा रही हैं। बासमती की खेती को कुरूद में सफलता मिली, तो इसे पूरे छत्तीसगढ़ में लागू किया जाएगा। यह पहल कृषि विभाग की आत्मा योजना के द्वारा...
More »किसानों की कब्रगाह बन रहा है पंजाब-
हरित क्रांति ने भारतीय कृषि की तसवीर बदल दी. एक वक्त था, जब अनाज संकट से निबटने के लिए लाल बहादुर शास्त्री को लोगों से एक जून उपवास रखने की अपील करनी पड़ी थी, वहीं आज देश के गोदाम अनाजों से इतने भरे हैं कि रखने की जगह कम पड़ जाती है. लेकिन, यह बदलाव लानेवाले किसानों का क्या हुआ? आज किसान किस संकट से जूझ रहे हैं, इसे समझने...
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