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अयोध्या में जन्मभूमि शिलान्यास के मायने भविष्य के भारत के लिए- नज़रिया

-बीबीसी, साल 1951 से ही इस बहस की शुरूआत हो गई थी, और अब यह बहस एक निर्णायक दौर में पहुँच गई है. गुजरात के सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद उसके उद्घाटन की तारीख़ रखी गई और भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को बुलावा भेजा गया, तो प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू चाहते थे कि 'धार्मिक मुद्दों को राष्ट्र के मुद्दों से अलग रखा जाए' और उन्होंने राजेंद्र प्रसाद को...

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गुरुग्राम : 'घर में ही रहें' की नसीहत के बीच सरकारी क्रूरता, 600 परिवार किये बेघर

-न्यूजक्लिक,  "कहाँ तो तय था चराग़ाँ हरेक घर के लिये, कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये" दुष्यंत कुमार का यह शेर आज की स्थिति पर बिल्कुल सटीक बैठता है। सरकार का लोकसभा चुनाव में बहुत बड़ा वादा था कि जहाँ झुग्गी वहीं मकान, लेकिन इसके विपरीत वर्तमान महामारी के समय में दिल्ली-एनसीआर सहित कई राज्यों में अवैध अतिक्रमण के नाम पर लोगों को बेघर किया जा रहा है। बेघर करके उन्हें सड़कों...

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नई शिक्षा नीति क्या लड़कियों की स्कूल वापसी करा पाएगी?

-बीबीसी, केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति-2020 को मंज़ूरी दे दी जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा में कई बदलाव किए गए हैं. इसमें शिक्षा पर सरकारी ख़र्च को 4.43% से बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का छह फ़ीसद तक करने का लक्ष्य है. लेकिन क्या इसमें उन लड़कियों की बात है जो 14 साल की उम्र तक आते-आते स्कूल छोड़ देती हैं. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुताबिक़, हर साल...

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कोरोना वायरस वैक्सीनः कहाँ तक पहुँची है ज़िंदगी बचाने की जंग

-बीबीसी, क्या आपको मालूम है कि दुनिया में इससे पहले सबसे तेज़ वैक्सीन किस बीमारी के लिए खोजी गई थी. टाइम मैगज़ीन के मुताबिक़ वो बीमारी मम्प्स थी, जिसकी वैक्सीन तैयार करने में वैज्ञानिकों को चार साल का वक़्त लगा था. लेकिन कोरोना महामारी जिस तेज़ी से फैल रही है और जिस रफ़्तार से लोगों की जान ले रही है, उसे देखते हुए इसकी वैक्सीन विकसित करने का काम ऐतिहासिक रूप से...

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“एक बेहतर दुनिया की ओर”: मेधा पाटकर ने शुरू किया ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित युवाओं का नया अभियान

-न्यूजलॉन्ड्री, ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित हो कर अनेक युवाओं ने एक नया अभियान आरंभ किया- ‘एक बेहतर दुनिया की ओर’. प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने इस अभियान को जारी करते हुए देश-विदेश के युवाओं को याद दिलाया कि महात्मा गाँधी ने कहा था कि प्रकृति में इतने संसाधन तो हैं कि हर एक की ज़रूरतें पूरी हो सकें परन्तु इतने नहीं कि एक का भी लालच पूरा हो सके. सबके...

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