उत्तर प्रदेश के नोएडा में पिछले दिनों पुलिस ने फ्लैग मार्च के रूप में एक शक्ति प्रदर्शन किया। पुलिस को बल मानने वाले मध्य वर्ग को उसकी शक्ति देखकर खुशी होनी चाहिए थी और जैसा कि दावा किया जा रहा था, अपराधियों के मन में इस दृश्य से इतना भय पैदा होना चाहिए था और उन्हें अपनी जमानतें रद्द कराकर जेलों में दाखिल हो जाना चाहिए था। इनमें से कुछ...
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जाति के जाल से कर्नाटक भी नहीं बचा-- एस श्रीनिवासन
अब जब कर्नाटक विधानसभा चुनाव में चंद हफ्ते रह गए हैं, तो राज्य में चुनावी गहमागहमी चरम की ओर बढ़ चली है। हालांकि कर्नाटक की आर्थिक स्थिति कई अन्य सूबों के मुकाबले बेहतर है, फिर भी इसकी अपनी कुछ समस्याएं तो हैं ही। राज्य में खेती-किसानी काफी दबाव में है। इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2012 से 2017 के बीच वहां 3,500 से अधिक किसानों...
More »निजीकरण नहीं वनों का हो कायाकल्प-- रामचंद्र गुहा
पैंतालीस साल पहले अलकनंदा घाटी के ग्रामीणों ने जब जंगल से पेड़ काटकर ले जाने वालों को रोका, तो किसी ने सोचा न होगा कि यहीं से चिपको आंदोलन की नींव पड़ने जा रही है। एक ऐसा किसान आंदोलन, जिसने भारत में वनों के व्यावसायिक दोहन पर सबका ध्यान खींचा। चिपको आंदोलन का ही यह असर था कि वनाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ी। गढ़चिरौली, बस्तर, सिंहभूम और पश्चिमी घाट सहित...
More »राह दिखाता केरल मॉडल-- सुभाष गताडे
सत्तर के दशक में केरल का सामाजिक-आर्थिक विकास का माॅडल पूरी दुनिया में सूर्खियां बना था. केरल के लोगों के जीवनस्तर में बढ़ोत्तरी (जो सामाजिक सूचकांकों में प्रतिबिंबित हो रही थी) कई विकसित देशों के बराबर थी, जबकि राज्य की प्रतिव्यक्ति आय बहुत कम थी. इसने पश्चिमी अर्थशास्त्रियों को अंचभित किया था और इसे केरल माॅडल कहा गया था. दिलचस्प बात है कि इन दिनों केरल के दूसरे ‘माॅडल'...
More »विज्ञान के लिए राष्ट्रीय नीति की जरूरत
हाल में विज्ञान के सबसे बड़े सालाना सम्मेलन- भारतीय विज्ञान कांग्रेस का इंफल में उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैज्ञानिक आम लोगों के फायदे के लिए अनुसंधान करें और वैज्ञानिक उपलब्धियों को समाज तक पहुंचाएं। इससे युवाओं में वैज्ञानिक चेतना जाग्रत होगी और शोध-अनुसंधान का माहौल भी बनेगा। असल में पिछले एक सौ चार सालों से चल रहे विज्ञान कांग्रेस के इस आयोजन का भी मुख्य...
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