भरपूर मानसून का आना शहर और गांव हर कहीं खुशी का माहौल रचता है। पर इधर जब से नगर, महानगर में और कुछ चुनिंदा शहर स्मार्ट सिटी में बदलने शुरू हुए हैं, बरसात की खुली झड़ी हर शहर, हर कस्बे पर एक आफत बनकर बरसती है। सड़कों पर उफनते नालों-सीवरों का भलभलाकर उलट आना, भारीभरकम जाम, घरों के भीतर घुसे पानी से जान-माल की तबाही, यह हमने गए सालों में...
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आंकड़ों में ही कम हो रही महंगाई - अनुराग चतुर्वेदी
बढ़ती महंगाई एक बार फिर चर्चा में है। वरना तो महंगाई का जिक्र चुनावी सभाओं या नीति आयोग जैसी संस्थाओं की गंभीर बैठकों में होता है। अर्थशास्त्री इसे मुद्रास्फीति से जोड़ते हैं तो किसान-दुकानदार 'मुनाफाखोरी" से। महंगाई पर चर्चा क्या सिर्फ आंकड़ों की कलाबाजी है या फिर यह हकीकत से भी जुड़ी है? सरकार का दावा है कि मुद्रास्फीति की दर दो अंकों से गिरकर एक अंक की हो गई...
More »संसद में घमासान: गूंजा ‘अरहर मोदी, अरहर मोदी’
नयी दिल्ली : लोकसभा में गुरुवार को महंगाई पर विपक्ष और सरकार के बीच जम कर घमसान हुआ. बढ़ती कीमतों को रोकने में असफल होने के विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में थोक महंगाई घट रही है. जेटली ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार से नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था और दोहरे अंकों वाली मुद्रास्फीति दर विरासत में...
More »दरों में कटौती अच्छी बारिश से दालों के भाव घटने पर निर्भर
नई दिल्ली। अच्छी बारिश से यदि दालों के भाव घटते हैं तो रिजर्व बैंक 9 अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा के तहत दरों में 0.25 फीसदी कटौती कर सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है। इस बार रबी सीजन में कमजोर फसल की वजह से दालों की महंगाई दर 27 प्रतिशत तक पहुंच गई है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने एक रिसर्च नोट...
More »बिछड़े सब बारी-बारी, खेती-बारी-- अनिल रघुराज
आखिर कोई कितना इंतजार करता! देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘सब कुछ इंतजार कर सकता है, लेकिन कृषि नहीं.' मगर, आजादी से लेकर कृषि को इंतजार करते-करते अब सात दशक होने जा रहे हैं. वह अब भी भगवान भरोसे है. इंद्रदेव नाराज, तो सूखे की त्रासदी और खुश तो बहुत बड़े इलाके में बाढ़ की तबाही. जिनके बरदाश्त करने की हद चुक जाती है, वे इस...
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