सतत विकास वैश्विक सामाजिक प्रगति रिपोर्ट में भारत के 98वें स्थान (133 देशों में) पर होने की निराशाजनक खबर के बाद अब चिंताजनक सूचना यह आयी है कि सतत विकास सूचकांक में हमारा देश 110वें (149 देशों में) पायदान पर खड़ा है. वर्ष 2030 तक गरीबी, भूख, अशिक्षा से मुक्ति के साथ बेहतर पर्यावरण का वैश्विक लक्ष्य पाने के हमारे प्रयासों पर यह एक गंभीर टिप्पणी है. इस रिपोर्ट की मुख्य...
More »SEARCH RESULT
हिमालय का बिगड़ता मिजाज--- ममता सिंह
हिमालय की अनदेखी शुरू से ही हो रही है। बार-बार केंद्र पर निर्भर हिमालयी राज्यों का तंत्र हिमालय की गंभीरता और हिमालय से चल सकने वाली स्थायी जीवन शैली और जीविका को भी भुलाते जा रहे हैं। आयातित परियोजनाओं ने हिमालय में अतिक्रमण, प्रदूषण और आपदा की स्थिति पैदा कर दी है जिसके फलस्वरूप हिमालय टूट रहा है। हिमालय न केवल भारत, बल्कि दक्षिण एशिया के सभी देशों के लिए जल...
More »दरिया में बदल गया एक स्मार्ट सिटी-- पंकज चतुर्वेदी
चौबीस घंटे में ही 23 सेंटीमीटर वर्षा हुई और एक स्मार्ट सिटी दरिया में तब्दील हो गया। बेशक भोपाल में हुई यह बारिश सामान्य नहीं थी, लेकिन भोपाल का जो हाल हुआ, वह भी उम्मीदों के परे था। इस बारिश से हुए नुकसान का आकलन अभी जारी है। इतनी बारिश में शायद देश के किसी बड़े शहर का यही हाल होता, पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का यह हाल हैरत...
More »बहादुरपुर में चार गांवों के 345 चापाकल सूखे
बहादुरपुर ( दरभंगा) : प्रखंड के मेकना वेदा, बसतपुर, उघरा व विउनी अंदामा पंचायत में पेयजल संकट गहरा गया है. इन चार पंचायतों के करीब 345 चापाकल सूख गये हैं. इसका कारण पिछले आठ दिनों में जलस्तर 32 फुट नीचे गिरना बताया जा रहा है. पीएचइडी के कनीय अभियंता ने जांच कर इसकी सूचना वरीय अधिकारियों को दी है. बीडीओ ने कहा कि इन पंचायतों में पेयजल आपूर्ति की...
More »सहेजना जरूरी है बरसात का पानी-- अतुल कनक
भारत कृषि प्रधान देश है। आज भी देश के किसानों का एक बड़ा वर्ग अपनी फसलों के लिए बादलों की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखता है। मानसून का अच्छा या बुरा होना, हमारी फसलों की पैदावार के अच्छे या बुरे होने को तय करता है। लेकिन बदली जीवन शैली में जिन लोगों का कृषि संबंधी गतिविधियों से सीधा सरोकार नहीं है, मानसून उनसे भी अपने यथोचित स्वागत की अपेक्षा...
More »