फिल्म ‘पीपली लाइव' का एक गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। इस गीत के माध्यम से एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक समस्या महंगाई की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है। गीत के बोल हैं- ‘सइयां तो बहुत कमात हैं, महंगाई डायन खाए जात है।' यानी रात-दिन काम करने के बावजूद कमाई की अपेक्षा महंगाई कई गुना अधिक बढ़ती जा रही है। इसलिए घर में जो जरूरी पदार्थ आने चाहिए, वे...
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आयात नहीं, दाल का उत्पादन बढ़ाएं-- बाबा मायाराम
जब आग लगती है, तभी हम कुआं खोदने के बारे में सोचते हैं। दालों के मामले में भी ऐसा ही हुआ। जब दाल के दाम इतने बढ़ गए कि उसे खाना मुश्किल हो गया, तब जाकर सरकार जागी। अब आनन-फानन में कई फैसले लिए जा रहे हैं। दाल आयात करने का फैसला लिया गया, व्यापारियों के गोदामों और दाल मिलों में छापे मारे गए, स्टॉक की क्षमता तय की गई।...
More »राजस्थान--कम पैदावार का असर जयपुर के बाजार पर भी, दालें 180 रुपए किलो तक
जयपुर। देश में दालों की कम पैदावार का असर राजस्थान पर छाने लगा है। जयपुर में दालों की कीमत 40 फीसदी तक बढ़ गई है। सब्जियों के दामों में तेजी के बीच दालों के बढ़े भावों ने लोगों की कमर तोड़कर रख दी है। हालांकि जयपुर के व्यापारियों का कहना है कि बीते दिनों से बढ़े भावों के बीच दालों की डिमांड कम हो गई है, ऐसे में अब और भाव...
More »'सोयाबीन की पेटी' आधी खाली, एक बीघा में सिर्फ दो क्विंटल पैदावार
जितेंद्र यादव, इंदौर। सोयाबीन की पेटी माने जाने वाले मालवा के बड़े हिस्से में इस बार सोयाबीन का उत्पादन आधा रह जाएगा। एक हेक्टेयर में औसत पैदावार सिर्फ 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर यानी एक बीघा में केवल दो क्विंटल। ये सरकार के फसल कटाई प्रयोग से निकले आंकड़े हैं, जबकि हकीकत तो इससे भी भयावह है। कई किसानों का तो बीज भी लौटकर नहीं आया। सोयाबीन अनुसंधान केंद्र के अनुसार, पूरी...
More »दाल उत्पादन बढ़ाने की जरूरत-- रमेश दूबे
महंगे प्याज ने पहले ही किचन का जायका बिगाड़ के रखा है और अब दाल की कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं. दालों की कीमतों पर लगाम लगाने के सरकार ने स्टॉक लिमिट, जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई, दालों के वायदा कारोबार का निलंबन जैसे उपाय किये हैं, लेकिन ये कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. सरकार भले ही थोक मुद्रास्फीति के माइनस 4.95 के ऐतिहासिक स्तर तक पहुंचने का ढिंढोरा...
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