“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...
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मेहनतकश की मजदूरी का सवाल : हर्ष मंदर
‘खेतों और फैक्टरियों में काम करने वाले हर मजदूर और कामगार को कम से कम इतना अधिकार तो है ही कि वह इतनी मजदूरी पाए कि अपना जीवन सुख-सुविधा से बिता सके..।’ वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण दे रहे जवाहरलाल नेहरू ने यह बात कही थी। इसके नौ दशक बाद स्वतंत्र भारत की केंद्र सरकार ने कहा कि लोककार्य के लिए कानून द्वारा स्थापित न्यूनतम मजदूरी का भुगतान...
More »पानवाले ने किया मनरेगा में घोटाले का भंडाफोड़
पोरबंदर. गुजरात के पोरबंदर जिले में एक पान की दुकान चलाने वाले व्यक्ति ने हाल ही में कंप्यूटर का उपयोग सीखकर मनरेगा योजना में एक अनोखे घोटाले का भंडाफोड़ किया है। मनरेगा योजना के लाभार्थियों में प्रवासी, डॉक्टर, सरकारी अधिकारी, अध्यापक और धनी किसान शामिल हैं। इन सभी को बेरोजगार ग्रामीणों के तौर पर दिखाकर उनके नाम पर जॉब कार्ड जारी किए गए हैं। इस तरीके से अब तक करीब एक करोड़...
More »बीपीएल कार्ड से देश भर में मिलें सुविधाएं
नई दिल्ली। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। कोर्ट ने कहा है कि गरीबी रेखा के नीचे [बीपीएल] वाले परिवारों को उनके राज्य ही नहीं, बल्कि देश के किसी भी हिस्से में सरकारी अस्पतालों से स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं प्रदान की जाए। अदालत ने सरकार से कहा है कि इसके लिए बीपीएल कार्ड को पूरे...
More »बुद्धि की मंदी है : मुद्दों का न होना- पी साईनाथ
कम-से-कम दो प्रमुख अखबारों ने अपने डेस्कों को सूचित किया कि 'मंदी' (recession) शब्द भारत के संदर्भ में प्रयुक्त नहीं होगा। मंदी कुछ ऐसी चीज है, जो अमेरिका में घटती है, यहां नहीं. यह शब्द संपादकीय शब्दकोश से निर्वासित पडा रहा. यदि एक अधिक विनाशकारी स्थिति का संकेत देना हो तो 'डाउनटर्न' (गिरावट) या 'स्लोडाउन' (ठहराव) काफी होंगे और इन्हें थोडे विवेक से इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन मंदी को नहीं. यह मीडिया के दर्शकों के...
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