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कांट्रैक्ट फार्मिंग से किसान या कंपनी किसको फायदा होगा? नए कानून की पूरी शर्तें और गणित समझिए

-गांव कनेक्शन, सरकारी शब्दों में कांट्रैक्ट फार्मिंग- संविदा पर खेती यानी किसान का खेत होगा, कंपनी-व्यापारी का पैसा होगा, वो बोलेगी कि आप ये उगाइए, हम इसे इस रेट पर खरीदेंगे, जिसके बदले आपको खाद, बीज से लेकर तकनीकी तक सब देंगे। अगर फसल का नुकसान होगा तो उसे कंपनी वहन करेगी। कोई विवाद होगा तो एसडीएम हल करेगा। मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश,...

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क्यों ये तीन विधेयक कुछ के लिए किसानों की आजादी हैं तो बाकियों के लिए उनकी मौत के फरमान

-सत्याग्रह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हें किसानों के लिए रक्षा कवच कह रहे हैं. उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए ये किसानों की मौत का फरमान हैं. इससे भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि कृषि से जुड़े और संसद से पारित हो चुके तीन विधेयकों पर राय के जो दो छोर हैं उनके बीच कितना फासला है. देश के कई राज्यों में किसान इन विधेयकों पर गुस्से का इजहार करते...

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कोरोना जांच के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई पेपर स्ट्रिप, प्रेग्नेंसी किट की तरह करेगी काम

-डाउन टू अर्थ, कोरोना वायरस (एसएआरएस-सीओवी-2) के प्रकोप को नियंत्रित करने से जुड़े प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है कोविड-19 से संक्रमित रोगियों की पहचान। इस दिशा में लगातार काम कर रहे वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई कोविड-19 परीक्षण किट अब उपयोग के लिए तैयार है। इस नई विकसित कोविड-19 त्वरित परीक्षण किट को अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से व्यावसायिक...

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पर्यावरण अधिसूचना का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद करने से इसके मतलब बदल जाएंगे: केंद्र

-द वायर,  दिल्ली हाईकोर्ट में दायर पुनर्विचार याचिका में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने विवादित पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना-2020 के ड्राफ्ट को 22 भाषाओं में अनुवाद करने के अदालत के निर्देश का विरोध किया है. केंद्र सरकार की ओर से मंत्रालय ने दावा किया कि ऐसा करने के लिए किसी कानून की मंजूरी प्राप्त नहीं है और इसके चलते आगामी विधि निर्माण में भी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी. केंद्र की ओर से कहा...

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क्या उबर पाएगा हिंदुस्तान?

-इंडिया टूडे, अर्थव्यवस्था: विशेषज्ञों की राय पहले से ही संकटों में घिरी भारत की अर्थव्यवस्था को कोविड ने जोरदार झटका दिया है और देश के सामने एक बड़ी मंदी मुंह बाए खड़ी है. इंडिया टुडे के अर्थशास्त्रियों का बोर्ड (बीआइटीई) इस बात का अंदाजा लगा रहा है कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है और इस बीमार अर्थव्यवस्था को चंगा करने के लिए उनकी क्या सलाह है   मैत्रीश घटक, प्रोफेसर, लंदन स्कूल...

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