हर साल की तरह इस साल भी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट आई। भ्रष्टाचार के वैश्विक पैमाने पर भारत अंकों के आधार पर वहीं खड़ा है। पिछले हफ्ते ऑक्सफेम सहित दुनिया की तीन आर्थिक विश्लेषण संस्थाओं ने बताया कि भारत में विगत 25 सालों में गरीब-अमीर की खाई खतरनाक रूप से बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब होता जा रहा है, अमीर और अमीर। हमने कानून बनाए। भ्रष्टाचार के मुद्दे...
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उपलब्धियां बेमिसाल, फिर भी बाकी हैं सवाल- राजकुमार सिंह
आज हमारा गणतंत्र 66 साल का हो गया। लंबी गुलामी के बाद संघर्ष से मिली आजादी में गणतंत्र का यह सफर आसान हरगिज नहीं रहा। आजादी के साथ ही आयी विभाजन की विभीषिका से उबर कर भारत ने गणतंत्र की राह सोच-समझ कर ही चुनी थी। फिर भी अगर सफर आसान और परिणाम वांछित नहीं रहे, तो कारण विरासत में मिली जटिलताओं के साथ ही नीति-निर्धारण में दोष का भी...
More »हकीकत और विकास के विरोधाभास- आकार पटेल
हम अपने आर्थिक इतिहास के सबसे विचित्र दौर से गुजर रहे हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री ने हाल ही में कहा कि मौजूदा वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर करीब नौ फीसदी रहने का अनुमान है. मौजूदा केंद्र सरकार अब तक की अपनी एक मात्र उपलब्धि का हवाला देते हुए यही कहती रही है कि भारत दुनिया की सबसे तेज गति से उभरनेवाली अर्थव्यवस्था है. यदि...
More »भारत में आधार कार्ड से होती है 650 करोड़ की सालाना बचत
वाशिंगटन। आधार कार्ड की महत्ता को विश्व बैंक ने भी स्वीकार किया है। डिजिटल पहचान पत्र के रूप में भारत में बनाए गए आधार कार्ड ने अभी तक देश को प्रति वर्ष एक अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 650 करोड़ रुपये) की बचत कराई है। साथ ही भ्रष्टाचार को भी रोकने में मदद की है। यह बात विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कही है। बसु के अनुसार आधार कार्ड...
More »बोई जुवार, स्वीकृत हो गया मिर्च का मुआवजा
भीकनगांव (खरगोन)। नईदुनिया की पहल अब ग्रामीण अंचल में भी मिशन बनने लगी है। दूरदराज क्षेत्र के एक किसान ने इसे सच साबित कर दिखाया। स्वयं ने स्वीकार किया कि उसने जो फसल बोई उसका बेहतर उत्पादन मिला। इसके बावजूद उसे एक अन्य फसल की बर्बादी का मुआवजा स्वीकृत हो गया। इस किसान ने गलत ढंग से मुआवजा हासिल करने की बजाय समाज के सामने अनियमितताओं और प्रशासनिक कारगुजारी को...
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