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क्या बीवी के पास बिठा दूं, वहीं स्कूल खोल दूं

जयपुर. समानीकरण का विरोध कर रहे शिक्षकों के बारे में शिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की एक टिप्पणी से बवाल मच गया है। इसे शिक्षकों और महिलाओं के सम्मान के खिलाफ बताते हुए शिक्षक संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी और मुख्यमंत्री से शिक्षा मंत्री को हटाने की मांग की है। शिक्षा मंत्री ने रविवार को राजस्थान यूनिवर्सिटी के मानविकी सभागार में शिक्षा अधिकार मंच के कार्यक्रम में समानीकरण का विरोध करने...

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बंगाल में साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट शुरू

कोलकाता। राज्य सरकार ने बंगाल में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री के 'साक्षर भारत मिशन प्रोजेक्ट' को शुरू कर दिया है। जनशिक्षा व ग्रंथागार विभाग के मंत्री तपन राय ने बृहस्पतिवार को राइटर्स में मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के साथ विभागीय स्तर की बैठक करने के बाद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नौ जिलों में इसकी शुरुआत की गई है जिनमें जलपाईगुड़ी, मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरुलिया, बांकुड़ा, व‌र्द्धमान, वीरभूम, उत्तर व दक्षिण चौबीस...

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स्कूलों को यूपी बोर्ड की एक और सौगात

लखनऊ। सुधारों और उदारीकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए यूपी बोर्ड ने स्ववित्तापोषित स्कूलों को नया तोहफा दिया है। यूपी बोर्ड से कक्षा नौ व दस की मान्यता लेने वाले स्ववित्तापोषित स्कूलों को अब कक्षा छह, सात व आठ भी चलाने की अनुमति होगी। यह व्यवस्था तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने रंगनाथ मिश्र मंगलवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसके कई फायदे...

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स्कूल छोड़ चुके बच्चों के घर जाएंगे पारा शिक्षक

सिलीगुड़ी (दार्जिलिंग) : महकमा क्षेत्र के माध्यमिक विद्यालयों में 14 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के ऐसे विद्यार्थी जिन्होने कक्षा आठ, नौ व दस में प्रवेश लिया था, मगर बाद में स्कूल से अनुपस्थित रहने लगे और परीक्षा में भी शामिल नहीं हुए, पारा शिक्षक उनके घर जाएंगे तथा स्कूल छोड़ने का कारण पूछेंगे। इन शिक्षकों की यह जिम्मेदारी होगी कि वे उन बच्चों के अभिभावकों से वार्ता कर उनका स्कूल में आना सुनिश्चित कराएं।...

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सुबह के इस दौर में भी छूट रहीं बच्चियां

पटना [जागरण टीम]। सरकारी प्रयास शुरुआती दौर पर रंग तो ला चुके हैं, लेकिन मैट्रिक के बाद की पढ़ाई-लिखाई के हलके में राज्य की ज्यादातर बच्चियों के लिए अपना वजूद बनाए रख पाना आज भी बहुत मुश्किल हो रहा है। 21वीं शताब्दी के 10 साल गुजरने के बाद भी शैक्षणिक संस्थानों की कमी और बुनियादी सुविधाओं की किल्लत ने उन्हें मैट्रिक की बाद की पढ़ाई के मद्देनजर तकरीबन 30 साल पीछे ही छोड़ रखा है। ...

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