वो गांव गये थे..दावा है कि गांव-गांव यात्रा किये हैं..खेत-खेत, आरी-डरेड़ा सब जगह घूमें। उन्हें ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि देश सूखे से बेहाल और सरकार दो साल के जश्न में निहाल है। उनका दावा है कि अभी दिल दिमाग जाग्रत है माने नहीं सूखा..भले ही खेत सूख गये हों..किसान बदहाल हो..आत्महत्या कर रहा हो। जी हां मैं बात कर रहा हूं स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव और उनके साथियों की...
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स्त्री का मिथक गढ़ता टीवी-- सुजाता
एक वयस्क व्यक्ति से पूछा जानेवाला सबसे वाजिब सवाल है कि वह अपने जीवन का क्या करना चाहता है. लेकिन, भारतीय स्त्री को कभी इतना वयस्क समझा नहीं गया कि उससे यह सवाल पूछा जाये. बचपन से लेकर शादी के बाद तक उसे इस सवाल का जवाब खुद तलाशने की न इजाजत होती है न अवसर. उसे क्या बनना है और क्या करना है- यह परिवार, समाज, धर्म, स्कूल जैसी...
More »सेना से मिले बर्तन ने विधवा को 65 साल बाद दिलाई पेंशन
जयपुर। राजस्थान के सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में रहने वाली सैन्य की विधवा राजकंवर को आखिर 65 वर्ष बाद पेंशन मिल सकेगी। उनकी पेंशन सेना की ओर से मिले एक भोजन पात्र के कारण सम्भव हो पाई है। राजकंवर के पति चुन्नी सिंह नवम्बर 1942 में भारतीय सेना में घुड़सवार के रूप में भर्ती हुए थे। उन्होने द्वितीय विश्युद्ध में हिस्सा लिया और 1950 में घर आए। वर्ष 1952 में उनकी...
More »स्त्री-पुरुष भिन्न हैं, विपरीत नहीं- सुजाता
और एक दिन हमने पाया कि दुनिया दो टोलों में बंट गयी है. फिल्म पीके की भाषा में कहें, तो एक हमारा गोला और एक तुम्हारा गोला. हम अपने-अपने टोले में कहीं खड़े एक-दूसरे की तरफ हाथ बढ़ाते हैं, लेकिन यहां आकर दो लोगों के बीच की दूरी दुनिया की सबसे लंबी और सबसे देर में तय की जानेवाली दूरी हो जाती है. ये दो टोले थे स्त्री और...
More »‘गाइड’ के दृश्य का दोहराव क्यों?- शेखर गुप्ता
यदि आपने देव आनंद की 1965 की क्लासिक फिल्म ‘गाइड' देखी हो तो टीवी स्क्रीन पर सूखे से प्रभावित क्षेत्रों खासतौर पर महाराष्ट्र के दृश्य अापको पहले देखे हुए से लगेंगे। फिल्म के अंतिम हिस्से में राजू गाइड सूखे से प्रभावित क्षेत्र के एक मंदिर में शरण लेता है। गांव वालों को लगता है कि वे कोई पहुंचे हुए स्वामीजी हैं और ग्रामीण उसे तब तक उपवास करने पर मजबूर...
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