महात्मा गांधी आधुनिक युग के ऐसे इंसान हैं, जो किसी भी अन्य भारतीय की अपेक्षा अपने होने को सार्थक करते हैं। एक ऐसे हिंदू, जिन्होंने मुसलमानों के समान अधिकारों के लिए अपना करियर तो समर्पित किया ही, जीवन भी बलिदान कर दिया। 1922 में राजद्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रहे अंग्रेज जज ने पेशा पूछा, तो उनका जवाब था- ‘किसान और बुनकर'। जीवन यापन के दो ऐसे तरीके, जो...
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सवर्ण आरक्षण: कोटे को लागू करने के लिए बढ़ाई जाएंगी 25 प्रतिशत सीटें
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में इसी सत्र से 25 फीसदी सीटें बढ़ाने का फैसला किया है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को बताया कि यह कदम गरीब सवर्णों को उच्च शिक्षा में 10% आरक्षण के मद्देनजर उठाया गया है। साथ ही यहभी स्पष्ट किया कि यह आरक्षण निजी उच्च शिक्षा संस्थानों पर भी लागू होगा। एसएसी-एसटी की सीटों पर नहीं होगा...
More »सरकार के उच्च विभागों में निर्धारित सीमा से काफी कम है आरक्षित वर्ग का प्रतिनिधित्व
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हालिया संविधान संशोधन के माध्यम से सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उन लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था कर दी जिन्हें मौजूदा आरक्षण की व्यवस्था का लाभ नहीं मिल रहा था. वहीं दूसरी ओर, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट से ये जानकारी सामने आई है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ सरकार के उच्च विभागों में ग्रुप-ए और ग्रुप-बी तथा अधिकतर...
More »10 फीसदी आरक्षण: तेजी से घट रही है सरकारी विभाग, बैंकों में नौकरियां
नई दिल्ली: रोजगार की संभावनाओं के संदर्भ में सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के लाभार्थियों को केंद्र सरकार में घटती नौकरियों की समस्या का समाना करना पड़ सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई), यहां तक कि बैंक में भी लगातार नौकरियां कम हो रही हैं. कार्मिक...
More »वो पेंशन रोक सकते हैं, पर खाना खाने से नहीं: जस्टिस चेलमेश्वर
सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति जस्ती चेलमेश्वर का कहना है कि फ़र्क़ नहीं पड़ता कि भारत सरकार ठीक से काम कर रही है या नहीं या फिर सुप्रीम कोर्ट अपना काम ठीक से कर रहा है या नहीं. बीबीसी से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले के अपने पैतृक गाँव में वो सुकून की ज़िन्दगी जी रहे हैं 'जहां ना संसद है और ना सुप्रीम कोर्ट.' पिछले...
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